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मां शाकम्भरी का आठवां वार्षिक महोत्सव मनाया गया


आसनसोल । आसनसोल के एनएस रोड स्थित सिंघानिया भवन में गुरुवार मां शाकम्भरी परिवार आसनसोल की तत्वावधान में आठवां मां शाकम्भरी वार्षिक महोत्सव मनाया गया। संस्था के सदस्य सजंय सुलतानिया, शकंर क्याल, महेश क्याल, सतीश क्याल ने बताया कि आसनसोल में शाकम्भरी उत्सव का महा आयोजन किया गया है जिसमें भव्य श्रृंगार, ज्योत प्रज्जवलन, छप्पन भोग, अखंड ज्योत, मेंहदी, गजरा किया गया। सुप्रसिद्ध कलाकार स्वेता रूनझुन एवं रितेश वर्णवाल के द्वारा भजन अमृतवर्षा प्रस्तुत किया गया। श्रद्धालुओं ने भजन कीर्तन पर झूम उठे। वहीं श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद वितरण किया गया है।प्राचीन समय में दुर्गमासुर नामक एक महा दैत्य हुआ जिसने कठोर तपस्या कर के ब्रह्माजी को प्रसन्न कर के चारों वेद हासिल कर लिए। जिसके कारण देवताओं की शक्ति क्षिण हो गई और 100 वर्षों तक बारिश नहीं हुआ। भीषण सूखा और चारों ओर हाहाकार मचा था। तब ऋिषि मुनी और देवताओं ने आदिशक्ति मां भगवती का आह्वान किया तो माता उनकी करुण पुकार सुनकर शताक्षी रूप मे प्रकट हुई और अपने सौ नैत्रो से नौ दिन रात लगातार जल बरसाया जिससे धरती पर चारों ओर जल के साधन उत्पन्न हुए और फिर माता ने शाकम्भरी रूप धारण कर के धरती पर शाक उत्पन्न कर के सबके प्राण बचाए। सबकी क्षुधा मिटाई। शाकम्भरी रूप में ही माता ने दैत्य दुर्गमासुर का वध कर के वेदों को मुक्त कराया और धरती का उद्धार किया। दुर्गमासुर का वध करने पर माता का नाम दुर्गा देवी पड़ा जिन्हें आज संसार जगत जननी शक्ति की देवी के रूप में पूजता है।

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