कल्ला अस्पताल के मृत सफाई कर्मचारी का परिवार बैठा आमरण अनशन पर
आसनसोल । कल्ला अस्पताल के सफाई कर्मचारी सुरेश हांड़ी कि ड्यूटी के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। इसके बाद उनके बेटे को नौकरी दी गई थी। 3 महीने नौकरी करने के बाद अचानक उनको नौकरी करने से रोक दिया गया। इसे लेकर शुक्रवार की सुबह से मृत सफाई कर्मी का पूरा परिवार आमरण अनशन पर बैठा। इस संदर्भ में एटक नेता आरसी सिंह ने कहा कि नियम के अनुसार मृतक के बेटे खेसारी की जांच की गई। ताकि उसकी उम्र का पता लग सके तीन डॉक्टरों के एक पैनल ने उसके शारीरिक जांच की। जिनमें से दो डॉक्टर ने कहा कि उसकी उम्र 35 साल से नीचे है लेकिन दांत के चिकित्सक ने बताया कि उसकी उम्र 35 साल से ज्यादा है। इसके बाद उसको नौकरी करने से रोक दिया गया। लेकिन बोर्ड की कोई रिपोर्ट सौंपी नहीं गई है। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में अपील की गई है लेकिन न तो सीएमडी न डीपी और न ही अस्थाई डीपी की तरफ से इस बाबत कोई प्रतिक्रिया मिल पाई है। आरसी सिंह ने कहा कि जो सरकारी डॉक्टर है उन्होंने अपनी रिपोर्ट में साफ कहा है कि मृतक के बेटे को न तो कलर ब्लाइंडनेस है और न ही उसकी उम्र 35 साल से ज्यादा है। जैसा कि अस्पताल द्वारा गठित बोर्ड के चिकित्सकों का दावा है उन्होंने कहा कि इसके बाद प्रबंधन से बॉर्डर गठित कर युवक की शारीरिक जांच करने का अनुरोध किया गया था। लेकिन अभी तक बोर्ड बैठ नहीं रही है। लेकिन उसको नौकरी से निकाल दिया गया है और ग्रेचुएटी प्रोविडेंट फंड आदि सब रोक दिए गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन समाज के सबसे वंचित वर्ग से आने वाले एक युवक के साथ अन्याय कर रहा है। उसकी नौकरी खा रहा है। आरसी सिंह ने कहा कि प्रबंधन को बताया गया था कि अगर 25 तारीख तक इस मामले का समाधान नहीं निकला तो परिवार के लोग आमरण अनशन करेंगे। अब जबकि 25 तारीख तक इसका समाधान नहीं निकला है तो परिवार के लोग कल्ला आकर आमरण अनशन पर बैठ गए है। आमरण अनशन करने वालों में एक दिव्यांग भी है। आमरण अनशन पर बैठने के बाद अब प्रबंधन का कहना है कि अभी तक उस युवक को अनफिट घोषित नहीं किया गया है। वहीं 25 तारीख की शाम तक सारे कागजात तैयार करके बकाया राशि की भुगतान करने का आश्वासन दिया गया। इसके बाद पुलिस के अनुरोध पर यूनियन द्वारा हस्तक्षेप कर आमरण अनशन करने वालों को फिलहाल निरस्त किया गया है। लेकिन आरसी सिंह ने कहा कि अगर प्रबंधन युवक के साथ इंसाफ नहीं करता है तो यह लो फिर से आमरण अनशन करेंगे तब यूनियन से हस्तक्षेप करने के लिए न कहा जाए। उन्होंने साफ कहा कि अगर 25 तारीख की शाम तक प्रबंधन उचित फैसला नहीं लेता तो एक बार फिर से आमरण अनशन के रास्ते पर ही चलने को मजबूर होना पड़ेगा।