बाबुल सुप्रियो के शपथ ग्रहण को लेकर खींचतान
कोलकाता । राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा बाबुल सुप्रिया को शपथ लेने की अनुमति देने पर सवाल उठाना ‘निराधार’ है। शपथ का इससे कोई लेना-देना नहीं है। नबान्न ने राज्यपाल द्वारा मंगलवार को नबान्न के संसदीय कार्यालय में भेजे गए नोट के साथ बुधवार को विधानसभा सचिवालय को फाइल भेजी। इसकी जानकारी विधान सभा सचिवालय से आज, गुरुवार को राजभवन को दी जाएगी। राज्यपाल जादवपुर विश्वविद्यालय में तब बाबुल सुप्रिय के बचाव में आए थे। जब वह भाजपा के मंत्री थे। इस बार तृणमूल के विजयी विधायक के रूप में वही बाबुल सुप्रिया की शपथ में ‘बाधा’ बने। बाबुल की शपथ लेने को लेकर अभूतपूर्व जटिलताएं शुरू हो गई हैं। तृणमूल का आरोप है कि इसके मूल में राज्य का संवैधानिक मुखिया है। वर्तमान राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान किसी भी शपथ ग्रहण को लेकर विवाद होना आम बात हो गई है। इस बार भी वह कोई अपवाद नहीं हुआ। हाल ही में संपन्न हुए बालीगंज विधानसभा उपचुनाव के बाद तृणमूल के विजयी उम्मीदवार बाबुल सुप्रिय को शपथ ग्रहण की तैयारी को लेकर एक फाइल राजभवन भेजा गया था। राज्यपाल से विधानसभा द्वारा अनुमति मांगी गई थी, ताकि शपथ ग्रहण समारोह विधान सभा से कराया जा सके। उस स्थिति में अध्यक्ष उनको शपथ दिला सकते हैं। लेकिन पत्र मिलते ही राज्यपाल अड़ गए। उन्होंने विधानसभा पर कुछ ‘शर्तें’ लगाकर हलफनामे की फाइल वापस विधानसभा में भेज दी। लेकिन वह शर्त क्या है? राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि वह विधानसभा को लेकर अब तक उठाए गए सभी सवालों के जवाब मिलने के बाद ही फाइल पर हस्ताक्षर करेंगे। राज्यपाल धनखड़ ने विधानसभा के सचिव को भी स्थिति स्पष्ट करने के लिए राजभवन तलब किया। हालांकि राज्य विधानसभा सूत्रों से खबर है कि राज्यपाल के सभी सवालों के जवाब पहले ही दिए जा चुके हैं। जवाब देने के लिए कोई सवाल नहीं बचा है। नतीजा यह है कि विधायक चुने जाने के बाद भी बाबुल विधानसभा में पद की शपथ कब ले पाएंगे, इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।