सीबीआई और ईडी से जिसे डर है वे लोग भाजपा के संपर्क में है – वी शिवदासन दासु
आसनसोल । सीबीआई और ईडी से जिसे डर है। वे लोग भाजपा के संपर्क में रहते है। उक्त बाते सोमवार जीटी रोड स्थित बीएसएनएल कार्यालय के पास स्थित तृणमूल कार्यालय में तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश सचिव वी शिवदासन दासु ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि वह भाजपा के किसी भी नेता के संपर्क में नहीं है और वह बीते 37 वर्षों से टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के नेतृत्व में राजनीति करते आए हैं। नेता के तौर पर वह सिर्फ ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी को पहचानते हैं। उन्हीं के नेतृत्व में वह भविष्य में भी तृणमूल कांग्रेस में बने रहेंगे। ममता बनर्जी के आदर्शों पर चलते हुए राजनीति करेंगे। उन्होंने कहा कि आसनसोल में जिन नेताओं को ईडी सीबीआई का डर है। वह नेता ही अपनी राह से भटक सकते हैं। उनको इन केंद्रीय जांच एजेंसी का कोई डर नहीं है। इस वजह से उनको कभी किसी विपक्षी पार्टी के नेताओं से संपर्क में आने की जरूरत महसूस नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इस लोकसभा क्षेत्र में जिन एक दो सीटों पर तृणमूल कांग्रेस की हार हुई भी है। वह तृणमूल कांग्रेस की अपनी कमजोरी की वजह से हुई है न कि विपक्षी पार्टियों की वजह से उन्होंने कहा कि यहां पर न तो कांग्रेस न भाजपा न सीपीएम इतनी मजबूत है कि वह तृणमूल कांग्रेस को हरा पाती। लेकिन यह तृणमूल कांग्रेस की अंदरूनी कमजोरी थी कि आसनसोल लोकसभा क्षेत्र में कुछ सीटों पर टीएमसी को हार का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह बात उन्होंने 2021 में भी कही थी।आज भी वही बात दोहरा रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह ममता बनर्जी के साथ तब से हैं। जब ममता बनर्जी युवा कांग्रेस की नेत्री थी। तब से लेकर आज तक वह ममता बनर्जी के साथ रहे हैं और आगे भी ममता बनर्जी के साथ ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि आसनसोल में अगर आज उनकी एक नेता के तौर पर पहचान बनी है तो वह ममता बनर्जी की वजह से बनी है। वरना उन्हें कोई नहीं पहचानता था। उन्होंने कहा कि जो लोग यह सोचते हैं कि मीडिया में इस तरह की खबरें उड़ाकर वह पार्टी में असमंजस की स्थिति पैदा कर सकते हैं। वह गलत है। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस एक बेहद मजबूत संगठन पर टिकी हुई है। अगर एक दो नेता पार्टी छोड़कर जाते भी है तो पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसका उदाहरण 2021 के विधानसभा चुनाव में देखा गया था। जब कई नेता चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर चले गए थे। लेकिन इसके बावजूद उन चुनावों में पार्टी को भारी बहुमत हासिल हुआ था।