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28 अक्टूबर को इस्पात कर्मियों की हड़ताल को ऐतिहासिक सफल बनायें

बर्नपुर । महारत्न कंपनी का दर्जा प्राप्त स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) का वर्तमान प्रबंधन सेल की ऐतिहासिक, सर्वोच्च और सौहार्दपूर्ण औद्योगिक संबंधों की परंपरा को नष्ट कर मजदूर विरोधी सामंती मानसिकता के साथ काम कर रहा है। इस्पात कर्मियों पर अहंकारपूर्ण तरीके से हमला किया जा रहा है। पिछले समझौते में दी गई सुविधाओं को गैरकानूनी और मनमाने ढंग से समाप्त करके और अपने कुछ अधिकारियों के माध्यम से श्रमिकों के बीच विभाजन पैदा करके हमारी सामूहिक सौदेबाजी की शक्ति को चुनौती दी जा रही है। देश के पहले और सम्मानित द्विपक्षीय मंच को नजरअंदाज कर इस सम्मानित संस्था को महत्वहीन बनाने का गंदा खेल खेला जा रहा है। सेल प्रबंधन आज अपनी विश्वसनीयता खोता जा रहा है। प्रबंधन अपनी प्रतिबद्धता, यहां तक ​​कि अपने हस्ताक्षरित समझौतों को भी नजरअंदाज करने में संकोच नहीं करता है। वेतन पुनरीक्षण के लिखित समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद भी, जिसे जनवरी 2017 से लागू करने का स्पष्ट प्रावधान है, वह षडयंत्रपूर्वक हमारा 39 महीने का बकाया, जो हमारा कानूनी अधिकार है, हड़पना चाहता है। हम इसे किसी भी हालत में नहीं छोड़ सकते और इसके लिए लड़ना होगा।’ यह हमारा कानूनी अधिकार और कमाया हुआ पैसा है जिसे हम छोड़ नहीं सकते। पिछले दो वर्षों से बोनस के सवाल पर प्रबंधन मनमाने ढंग से और एकतरफा तरीके से कर्मचारियों के खाते में भुगतान डाल रहा है और इसके विरोध का कोई असर नहीं हो रहा है. जब 2021-22 में उत्पादकता और उत्पादन हासिल से ज्यादा हुआ है तो हम उससे कम बोनस क्यों स्वीकार करेंगे? यह कर्मचारियों की मांग है, लेकिन प्रबंधन के अधिकारी इसे कर्मचारियों को देने से कतराते नजर आ रहे हैं. प्रबंधन की इस हठधर्मिता के खिलाफ एनजेसीएस के सभी घटक दलों के नेताओं के संयुक्त निर्णय के तहत प्रबंधन की एक तरफा और मनमानी कार्रवाई के खिलाफ 28 अक्टूबर को एक दिवसीय हड़ताल का नोटिस दिया गया है. लेकिन प्रबंधन अभी भी हमें चुनौती देकर अहंकार दिखा रहा है और उसे सबक सिखाना हमारी जिम्मेदारी है। .इस संदर्भ में हड़ताल की सूचना के बाद देश के मुख्य श्रम आयुक्त के केंद्रीय कार्यालय ने बातचीत की पहल की और 25 अक्टूबर को श्रमेव जयते भवन, नई दिल्ली में वार्ता का आयोजन किया. वार्ता में एटक के विद्यासागर गिरि, इंटक के हरजीत सिंह, एचआईएमएस के एसडी त्यागी, बीएमएस के संजीत बनर्जी और सीटू के ललित मिश्रा शामिल हुए. प्रबंधन की ओर से बीएस पोपली ईडी, मानस रथ, विक्रम उप्पल, मलय गोस्वामी और प्रवीण कुमार सिंह ने भाग लिया. भारत सरकार के श्रम विभाग के मुख्य श्रम आयुक्त श्री के शेखर, उप मुख्य श्रम आयुक्त श्री तेग बहादुर सिंह एवं क्षेत्रीय श्रम आयुक्त श्री ओपी सिंह वार्ता के संचालन में सक्रिय पहल कर रहे थे. दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक करीब 7 घंटे तक वार्ता चली लेकिन प्रबंधन के अड़ियल और मजदूर विरोधी रवैये के कारण वार्ता विफल रही। सभी यूनियनों ने संयुक्त रूप से प्रबंधन की चुनौती को स्वीकार करते हुए हड़ताल पर जाने का फैसला दोहराया है और 28 अक्टूबर की हड़ताल को सफल बनाने की अपील की है। उप मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष हुई वार्ता में सभी यूनियनों ने बोनस मुद्दे, 39 महीने का बकाया, इस्पात कर्मियों की तरह ठेका श्रमिकों को वेतन और नौकरी की सुरक्षा, ग्रेच्युटी भुगतान आदेश पर मनमानी सीमा वापस लेने सहित अपनी विभिन्न मांगें रखीं। लेकिन श्रमिकों और ट्रेड यूनियनों के खिलाफ प्रबंधन का अड़ियल रवैया एक गंभीर चुनौती के रूप में सामने आया है। वार्ता में एमओयू के आलोक में मुख्य श्रम आयुक्त के स्पष्टीकरण व सुझाव तथा समझौते के कानूनी महत्व व कानूनी बाध्यता पर भी प्रबंधन की उपेक्षा व नकारात्मक रवैया देश के इस्पात श्रमिकों के लिए चुनौती बनकर सामने आया है। इस विज्ञप्ति के साथ संलग्न वार्ता के विवरण में उप मुख्य श्रमायुक्त ने वार्ता के कार्यवृत्त में दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने निष्कर्ष एवं सलाह में स्पष्ट रूप से कहा है कि रिकार्ड में उपलब्ध सामग्री का परीक्षण करने तथा उसके कानूनी क्रियान्वयन की दृष्टि से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि इस्पात मंत्रालय के पत्र के बिंदु दो में उल्लेखित शब्द “नोशनल” जिस पर प्रबंधन भरोसा कर रहा है। इसलिए, प्रबंधन को एक बार फिर सलाह दी जाती है कि वह 21-22 अक्टूबर 2022 के एमओयू में उल्लिखित बिंदुओं और शर्तों को उसकी मूल भावना के अनुरूप लागू करें। अंतिम पैराग्राफ में उप मुख्य श्रम आयुक्त ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस संदर्भ में प्रबंधन को इस्पात मंत्रालय से परामर्श कर अपने निर्णय का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए ताकि एमओयू की शर्तों को लागू किया जा सके और हड़ताल को टाला जा सके। प्रबंधन को फिर से सलाह दी जाती है कि वह 28 अक्टूबर को दोपहर 12:00 बजे तक इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। अगली सुनवाई 28 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे होगी।उप मुख्य श्रमायुक्त की स्पष्ट सलाह और श्रमिकों के कानूनी अधिकारों के साथ मुख्य मांग हमारे 39 महीने के लंबित वेतन का भुगतान हमारी मेहनत की कमाई का हिस्सा है। प्रबंधन की इसे हड़पने की साजिश को हमें सफल नहीं होने देना है. हम अपने अर्जित वेतन को हड़पना स्वीकार नहीं कर सकते। इसे हासिल करने के लिए 28 अक्टूबर की हड़ताल को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाएं और अहंकारी प्रबंधन को सबक सिखाएं और उन्हें समझौता करने और कानून का पालन करने के लिए मजबूर करें। कार्यकर्ताओं की एकता और सामूहिक सौदेबाजी ही हमारी ताकत है. हम अन्य स्थानीय यूनियनों एवं आम कर्मियों से भी अपील करना चाहेंगे कि हमारी अर्जित कमाई का बकाया, हमारे संविदा कर्मी भाईयों के वेतन सहित बोनस सहित मांग पत्र के अन्य बिंदुओं पर सम्मानजनक समाधान के लिए 28 अक्टूबर की हड़ताल को शत-प्रतिशत सफल बनायें और नौकरीसुरक्षा और अपनी ताकत और एकता का प्रदर्शन करके प्रबंधन की चुनौतियों का जवाब दें।

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