सेनरेले में अब भी बरकरार है दुर्गापूजा की बरसों पुरानी परंपरा
आसनसोल । आसनसोल को शिल्पांचल नगरी कहा जाता है । इसकी वजह यह है कि यहां ऐसे कई औद्योगिक संस्थान हैं जिनकी ख्याति पुरे विश्व में फैली हुई थी। ऐसी ही एक संस्था है सेनरेले। यहां की ख्याती पूरे विश्व में थी। आज भले यहां पहले जैसी परिस्थिति नहीं रही लेकिन आज भी यहां के लोगों का जज्बा अटूट है। यहां के डी ब्लाक पूजा कमिटि की दुर्गापूजा बहुत मशहूर है। भले इस पूजा में पहले की तरह रौनक नहीं है लेकिन आज भी यहां की कमिटि के लोग धूमधाम से पूजा मनाते हैं। डी ब्लाक द्वारा आयोजित इस दुर्गापूजा के दौरान पूजा से संबंधित बंगाल की हर परंपरा का ध्यान रखा जाता है। इस साल डी ब्लाक द्वारा आयोजित दुर्गापूजा का स्वर्ण जयंती थी। इस मौके पर यहां कमिटि की तरफ से कुछ विशेष आयोजन किए गये थे। सेनरेले डी ब्लाक कॉलोनी की दीवारों को रंगीन चित्रों से पाट दिया गया है। यह सारा कार्यक्रम महालया के दिन से शुरु हो जाता है। ढाक बजाकर लोगों को आमंत्रित किया जाता है। एफ एम रेडिओ पर पूजा से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित किए जातें हैं। इलाके के युवकों के परिश्रम से बनाए गए मंडप में पूजा के चार दिनों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इनमें धुनुची नृत्य नृत्य नाट्य मोमबत्ती जलाना आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही विभिन्न साहित्यिक प्रतियोगिताएं भी होती हैं। इन प्रतियोगिताओं में यहां के लोगों के साथ साथ विशिष्ट हस्तियां भी सम्मिलित होतीं है। आसनसोल जिला अस्पताल के सुपर डॉ. निखिल चंद्र दास ने एक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और पुरस्कार भी जीता। पश्चिम बर्दवान जिले के एडीएम भी यहां मां के दर्शन करने आते हैं। पलाश दे, तापस नंदी, रुपम दे, काकली नंदी, लिपिका चक्रवर्ती, शंपा लाहरी जैसे स्थानीय लोगों के सहयोग से धूमधाम से इस पुजा का आयोजन किया जाता है जो सेनरेले की धरोहर को उजागर करती है।