आसनसोल । आसनसोल मंडल रेल प्रबंधक परमानंद शर्मा और अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी ब्रजेश कुमार त्रिपाठी के सफल मार्गदर्शन एवं राजभाषा अधिकारी डॉ. मधुसूदन दत्त के कुशल नेतृत्व में अधिकारियों के बच्चों के लिए राजभाषा विषयक विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। मंडल कार्यालय के दामोदर सभाकक्ष में ‘चित्रकला, हिंदी निबंध लेखन और हिंदी काव्य-पाठ प्रतियोगिताओं’ का सुरुचिपूर्ण आयोजन हुआ। सर्वप्रथम राजभाषा अधिकारी डॉ. मधुसूदन दत्त ने अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी-सह-अपर मंडल रेल प्रबंधक-2 ब्रजेश कुमार त्रिपाठी, आगत अधिकारीगण और उपस्थित प्रतिभागी बच्चों का स्वागत करते हुए कहा कि मंडल के विभिन्न रेल कार्यालयों के अधिकारियों और कार्मिकों को अपनी रचनात्मक गतिविधियों के जरिए राजभाषा के मंच से जुड़ने और जोड़ने के लिए राजभाषा विभाग सदैव सचेष्ट रहा है। रेल अधिकारियों के बच्चों के लिए मंगलवार आयोजित होनेवाली ये प्रतियोगिताएं इसी अभियान की एक विशिष्ट कड़ी है। उन्होंने राजभाषा टीम की ओर से आप सभी का स्वागत करता हूं। बच्चों की उत्साहपूर्ण उपस्थिति के परिप्रेक्ष्य में आशीवर्चन के रूप में अपर मुख्य राजभाषा अधिकारी-सह-अपर मंडल रेल प्रबंधक श्री त्रिपाठी ने कहा कि राजभाषा विभाग ने जसीडीह सेक्शन के कार्मिकों और उनके बच्चों के लिए काव्य-पाठ आयोजित की थी। इसके बड़े सकारात्मक परिणाम मिले थे। इसी की अगली कड़ी के रूप आज अधिकारियों के बच्चे राजभाषा विषयक तीन अलग-अलग प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं। राजभाषा टीम की इसप्रकार की गतिविधियों की मैं भूरि-भूरि सराहना करता हूँ। इसी क्रम में अपर मंडल रेल प्रबंधक-1 एमके मीणा ने अपने वक्तव्य में कहा कि ऐसी प्रतियोगिताओं से बच्चों में रचनात्मकता का सृजन होता है, उनकी सोच व कल्पनाशीलता में निखार आता है। राजभाषा विभाग इसके लिए प्रशंसा का पात्र है। तदुपरांत उपस्थित प्रतिभागी बच्चों ने चित्रकला प्रतियोगिता के लिए निर्धारित विषयों पर चित्रांकन किया। निबंध प्रतियोगिता के लिए निर्धारित विषयों पर उन्होंने अपने विचार लिखे। अंत में बच्चों ने अपनी पसंद के रचनाकारों की कविताओं की सुमधुर प्रस्तुति दी। राजभाषा अधिकारी के धन्यवाद – ज्ञापन के साथ राजभाषा विषयक प्रतियोगताएं संपन्न हुई। इस आयोजन को सफल बनाने में राजभाषा टीम के दिलीप कुमार पासवान, बीबी पांडेय, पुरुषोत्तम कुमार गुप्ता, अनुवादक संजय राउत और मंजू देवी श्रीवास्तव का सक्रिय योगदान रहा।