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देश के सभी संवैधानिक संस्थाओं में जाति संख्या के आधार पर पदों को भरा जाए

भारत के सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट में भी जातीय आरक्षण संख्या के आधार पर नियुक्ति हो – नंद बिहारी यादव

आसनसोल । शिल्पांचल के जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं समाजवादी नेता राजद राष्ट्रीय परिषद सदस्य नंद बिहारी यादव ने भारत सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराये जाने की घोषणा पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारतीय समाज व्यवस्था में जातीय ढांचा एक कड़वा सच है। समाज व्यवस्था पूरी तरह से जाती वर्गीकरण में बात हुआ है। इसको भारत में कोई भी इनकार नहीं कर सकता है। इसलिए इस देश में जाती है जनगणना करना पूरी तरह से अनिवार्य है जिससे कि भारत के इस लोकतांत्रिक समाज का पूर्ण रूप से विकास संभव हो सके। इसी क्रम में जातीय जनगणना करना समाजवादियों की बहुत लंबी मांग थी। काफी लंबे समय से भारतीय लोकतंत्र में सामाजिक न्याय करने के उद्देश्य से जातियां जनगणना करना आवश्यक था। उन्होंने बताया कि यह मांग 90 के दशक में जनता दल के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष भारत के पूर्व रेल मंत्री एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राजद सुप्रीमो गरीब दलित पिछड़ों अल्पसंख्यकों के मसीहा लालू प्रसाद यादव ने देश के पटल पर रखा था और उन्होंने कहा था कि देश में सामाजिक न्याय तभी स्थापित हो सकता है। जब देश की जाति जनगणना से देश की जनता पूरी तरह से अवगत हो क्योंकि यह देश में शिक्षा स्वास्थ्य संपदा संपत्ति और पद 5 फीसदी लोगों के पास सुरक्षित है बाकी 90 से 95 फीसदी लोग धन विहीन शिक्षा संसाधन विहीन और गरीबी हालत में जी रहे हैं। इसका कारण है कि जातीय समीक्षा नहीं की गई और मुट्ठी भर जाति के लोग देश के हर संवैधानिक एक संस्थानों पर बैठे हुए हैं और वह लोग भारत के लोकतंत्र में देश की जनता का वोट लेकर जनता के टैक्स के पैसे से सारे धन का दुरुपयोग कर रहे हैं। इसलिए देश की संपदा संपत्ति संवैधानिक पद और सारी सुविधाओं पर देश की सभी नागरिकों का समान अधिकार है। इसलिए उनके संख्या के आधार पर इसका वितरण होना चाहिए। इसलिए जातीय जनगणना करना आवश्यक है। उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिश को भी पूर्ण रूप से लागू करने की बात कही और कहा कि अभी आगे लड़ाई बाकी है। श्री यादव ने कहा कि जातीय जनगणना लंबे समय से समाजवादी नेता मांग कर रहे थे जिसमें मुख्य भूमिका लालू प्रसाद यादव जी की थी और आज संघ भाजपा की मोदी सरकार समाजवादियों के सामने आत्म समर्पण करते हुए समाजवादियों की लंबी मांग को स्वीकार करते हुए जातीय जनगणना करने का जो घोषणा किया है यह भारत के तमाम जातियां चाहे हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सभी धर्म में जो जातियां हैं सब का विकास समान रूप से होगा और उन्हें सभी अवसर के पद समान रूप से प्राप्त होंगे इसकी भी विकास की जो मास्टर प्लान है वह तैयार किया जाएगा श्री यादव ने बताया की देश के सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट और न्यायपालिका तथा संवैधानिक संस्थाओं के सारे पदों पर भी दलित पिछड़े अल्पसंख्यक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के संख्या के आधार पर भरा जाए तभी जातीय जनगणना का सही मान्यता होगी और उम्मीद करते हैं कि आने वाला समय भारत में दलित पिछड़ों अल्पसंख्यकों का स्वर्णिम काल होगा जब इस देश के राष्ट्रपति से लेकर के भारत के मुख्य न्यायाधीश तक के पदों पर दलित पिछड़े आदिवासी समाज के लोग अपनी सेवाएं देंगे और देश के नागरिकों को न्याय दे सकेंगे उन्होंने वर्तमान समय में देश की गंभीर स्थिति बताते हुए कहा कि आज देश में संघ और मनुवादी राजनीतिक मुखौटा शासन में बैठा हुआ है और देश के संवैधानिक ढांचा को पूरी तरह से तहस-नस कर रहा है इसलिए उन्होंने देश के नागरिकों से विशेष कर दलित पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के लोगों से निवेदन किया कि आप एकजुट संगठित होकर इस सरकार को उखाड़ फेके और आने वाले समय में दलित पिछड़े अल्पसंख्यक सभी समाज के लोगों का एक समान और सामाजिक न्याय स्थापित हो सके इसलिए जातीय जनगणना में भी सहयोग करें।    

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