मां घाघरबुरी मंदिर की मरम्मत कार्य नहीं होने के लिए निगम प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन अमरनाथ चैटर्जी हैं जिम्मेदार – कृष्णा प्रसाद
आसनसोल । चक्रवाती तूफान गुलाब को गुजरे दो महीने से ज्यादा हो गएं हैं लेकिन इसके तबाही के मंजर अभी भी शिल्पांचल के चारों ओर देखे जा सकते है। मां घाघरबुरी इन्हीं में से एक हैं। विदित हो कि चक्रवाती तुफान गुलाब में घाघरबुरी मंदिर को भी भारी क्षति हुई थी। निगम की तरफ से इसके मरम्मत का आश्वासन दिया गया है लेकिन काम अभी तक मरम्मत कार्य शुरू नहीं हुआ है। बुधवार को आसनसोल के विशिष्ट समाजसेवी सह व्यवसायी कृष्णा प्रसाद शिल्पांचल के प्रसिद्ध मां घाघरबुरी मंदिर पंहुचे। यहां उन्होंने सबसे पहले पूजा अर्चना की। इसके उपरांत वह पत्रकारों से बातचीत किये। उन्होंने आसनसोल नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन अमरनाथ चैटर्जी पर इस प्राचीन भव्य देवस्थल की अनदेखी का आरोप लगाया। सनद रहे कि बीते 30 सितम्बर को आसनसोल में जो आपदा आयी थी। उसमें घाघरबुरी मंदिर को भी भारी क्षति हुई थी। आसनसोल नगर निगम की तरफ से इसकी मरम्मत की बात कही गयी है। लेकिन दो महीने के बाद भी यहां कोई कार्य नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि सारी समस्याओं का हल प्रशासन या सरकार नहीं करती है। कृष्णा प्रसाद ने कहा कि आसनसोल नगर निगम के प्रशासनिक बोर्ड के चेयरमैन अमरनाथ चैटर्जी अगर चाहते तो अपनी जेब से ही कुछ राशि दान कर सकते थे। अगर समाज में इस तरह की जागरूकता आ जाती तो इस मंदिर की मरम्मत का काम अब तक हो जाता। उन्होंने बताया कि मां घाघरबुरी मंदिर सिर्फ आसनसोल ही नही बल्कि पूरे देश विदेश में मशहूर है। ऐसे में इस मंदिर की मरम्मत में आसनसोल नगर निगम की यह उदासीनता श्रद्धालुओं का अपमान है। उन्होंने कहा कि वह यहां बीते दो महीनों में चार बार आ चुके हैं और मंदिर की जर्जर हालत देखकर उनको रोना आता है। उन्होंने कहा कि मंदिर में विदेशों से भी श्रद्धालु आते हैं ऐसे में मंदिर की इस जर्जर अवस्था के लिए अगर कोई हादसा हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा। उन्होंने बताया कि यहां के जो पुजारी हैं उनका कहना है कि नगर निगम की तरफ से यहां का जायजा लिया जा चूका है और क्या करना है इसका आंकलन किया जा चूका है। लेकिन चक्रवात तुफान गुलाब के दो महीने बाद भी काम शुरु नहीं हुआ यह दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि आपातकालीन तत्परता के साथ इस मंदिर को बनाना चाहिए था। अब तक इस मंदिर का मरम्मत कार्य नहीं हुआ। इसकी जिम्मेदारी अमरनाथ चैटर्जी की है। उन्होंने सवाल किया कि अमरनाथ चैटर्जी खुद एक ब्राह्मण हैं उनके घर में भी भव्य पूजा होती है ऐसे में वह मां घाघरबुरी को इस जर्जर अवस्था में कैसे रख सकतें है। उन्होंने कहा कि अगर 72 घंटे के अंदर यहां नगर निगम मरम्मत का कार्य शुरु नहीं करता है तो वह खुद यह कार्य शुरु कर देंगे। इसके लिए अगर नगर निगम प्रशासन उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करती है तो वह खुशी से सामाजिक कार्य के लिए सुली पर चढ़ने को भी तैयार है। उन्होंने बताया कि छठ पूजा के समय भी ऐसा ही हुआ था । जिस रास्ते का उन्होंने अपने प्रयासों से 8 से 10 लाख रुपये की लागत से मरम्मत करवाया था। उसे लेकर भी अमरनाथ चैटर्जी ने जिन शब्दों का प्रयोग किया था वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था। उक्त सड़क का निर्माण वह अपने लिए नहीं करवाये थे। वह समाज के लोगों के लिए सड़क का निर्माण करवाये थे। उन्होंने कहा कि वह कोई राजनीति नहीं करना चाहते बस वह चाहते हैं कि आस्था के इस महान स्थल का मरम्मत किया जाए। वहीं उन्होंने कहा कि मंत्री मलय घटक से उनकी इस विषय पर बात हुई है। उन्होंने कहा कि घाघरबुरी मंदिर परिसर को एक धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित की जाएगी। मैं उनकी बात से बहुत खुश हुआ। उनके विचार उन्हें अंतरात्मा को छू गया। इस संदर्भ में मंदिर के एक पुजारी से बात की तो उन्होंने कहा कि निगम की तरफ से लोग आए थे और मुआयना करके गए हैं। लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है । वहीं निगम के प्रशासकिय बोर्ड के चेयरमैन अमरनाथ चैटर्जी से जब इस संदर्भ में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि निगम की ओर से मंदिर परिसर में बहुत काम हो रहे है। मंदिर की मरम्मत कार्य के लिए निगम के अभियंता निरीक्षण कर इसके खर्च का बजट बना कर निगम को सौंपा है। निगम बहुत जल्द मरम्मत कार्य शुरू कर देगा। वहीं उन्होंने कहा कि कौन क्या कहता है। कौन क्या करेगा। इसे निगम को देखने का कार्य नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि घाघरबुरी मंदिर निगम की प्रॉपर्टी नहीं है। यह अघोरी लोगों की प्रॉपर्टी है। अघोरी लोग चाहेंगे तो कोई भी मंदिर का मरम्मत कर सकता है। उन्होंने कहा कि कृष्णा प्रसाद भाजपा में शामिल हुए थे। उसके बाद वह भाजपा छोड़ दिया। वह तृणमूल के साथ पहले थे। आज भी तृणमूल के साथ है। तृणमूल पार्टी में शामिल हुआ है या नहीं उन्हें पता नहीं है। समाज के लिए कार्य करना अच्छी बात है। सरकारी नियम एवं कानून के दायरे में रहकर करना चाहिए।