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सबको है आसनसोल लोकसभा उपचुनाव के नतीजों का इंतजार

आसनसोल । आसनसोल लोकसभा उपचुनाव के बाद क्या है, आसनसोल की जनता की राय? क्या दोबारा होगा वोट उपचुनाव, आसनसोल लोकसभा उपचुनाव खत्म हो गया है। अब बस नतीजों का इंतजार है। हर कोई जानता है पेशोपेश में है। हालांकि आसनसोल इंजीनियरिंग कॉलेज बुधवार सुबह से ही सुरक्षा घेरे में है। चारों तरफ पुलिस ही पुलिस। बड़े अधिकारीयों की गाड़ियां आ रही है। केंद्रीय बल भी हैं। राज्य पुलिस भी हैं। मतगणना आसनसोल के जुबली मोड़ के पास आसनसोल इंजीनियरिंग कॉलेज में ही होगी। उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। उम्मीदवारों में भाजपा के अग्निमित्रा पाल, तृणमूल कांग्रेस के शत्रुघ्न सिन्हा, माकपा और कांग्रेस के पर्थ मुखर्जी और प्रसेनजीत पोईतूंडी शामिल हैं। हालांकि लड़ाई मुख्य रूप से बीजेपी और तृणमूल के बीच है। मतगणना केंद्र पर आज सभी दलों के प्रतिनिधि पंहुचे, स्क्रुटनी हुई।
मतगणना में क्या होगा ?
संयोग से, आसनसोल लोकसभा पर कभी भी तृणमूल का कब्जा नहीं रहा है। इसलिए कार्यकर्ता समर्थक इस बार उपचुनाव में कूद पड़े। कल्याण बनर्जी से लेकर अभिषेक बनर्जी तक बड़े नेता आए। और उम्मीदवार शत्रुघ्न सिन्हा के शब्दों में, “मैजिक मैन” मंत्री मलय घटक ने खुद को पूरी तरह से झोंक दिया। दूसरी ओर, भाजपा उम्मीदवार अग्निमित्रा पाल को विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी, रविशंकर प्रसाद और दिलीप घोष जैसे नेताओं का समर्थन प्राप्त था। सभी को जीत की उम्मीद है, अब देखते हैं क्या होता है।
संयोग से, बाबुल सुप्रिया ने आसनसोल लोकसभा से लगातार दो बार जीत हासिल की। तब वह बीजेपी के पक्ष में थे। इस बार फिर से चुनाव करवाना पड़ा क्योंकि वह टीएमसी शामिल हो गए थे। लेकिन लोग कह रहे हैं – वोट शांतिपूर्ण रहा। उन्होंने मतदान किया। अब 16 तारीखों का इंतजार है।‌ हालांकि सभी को जीत की उम्मीद है।

देखें कौन क्या कह रहा है
खासकर राजनीतिक गलियारों का मानना ​​है कि इस चुनाव में कई कारकों ने काम किया है !
सबसे पहले, उस धार्मिक समारोह के दौरान मतदान। उस मामले में मतों का प्रतिशत क्या है?
दूसरा असहनीय गर्मी। तीव्र गर्मी में क्या स्थिति थी?
तीसरा, केंद्रीय बल। उनकी गतिविधि। कितने मतदाताओं को निश्चिंत कर पाए हैं। बिल्कुल भी कर पाए क्या ?
उम्मीदवार कितने लोगों तक पहुंच पाए हैं?
चौथा – बाबुल सुप्रियो का पार्टी परिवर्तन। लोगों ने इसे कैसे स्वीकार किया? सिर्फ स्वीकृति नहीं। बाबुल के पार्टी परिवर्तन को लोगों द्वारा राजनीतिक या बाहरी रूप देख रहे हैं, यह भी एक कारण है।
चुनाव के नतीजे जो भी हों, राजनीतिक हलकों का यह भी दावा है कि इन मुद्दों ने काम किया है।

समीकरण क्या कहता है
लेकिन लोग कह रहे हैं कि उपचुनाब हो गया। लोगों ने सुबह ही मतदान किया। हालांकि अधिकांश आसनसोल लोकसभा आसनसोल नगर निगम के अधीन है। ऐसे में तृणमूल ने निगम के 106 में से 91 वार्ड जीते। अब देखते हैं 16 अप्रैल को क्या होता है।

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