चार दिवसीय फलहारिनी कालिका पूजा 16 से
आसनसोल । मां घाघरबुरी मंदिर परिसर में फलहारिणी कालीका पूजा को लेकर कालीपहरी धर्मचक्र सेवा समिति की ओर से शनिवार एक संवाददाता सम्मेलन किया गया। इस संवाददाता सम्मेलन में धर्मचक्र सेवा समिति के अध्यक्ष रूपेश कुमार साव, संस्थापक राधा गोविंद सिंह, सचिव डॉ. दीपक मुखर्जी, उपाध्यक्ष राधेश्याम सिंह, कोषाध्यक्ष विकास सिंह सहित धर्मचक्र सेवा समिति के तमाम सदस्यगण उपस्थित थे। इस मौके पर राधा गोविंद सिंह ने कहा कि हर साल की तरह इस साल भी फलहरिणी कालीका देवी की पूजा आयोजित की जाएगी। यह पूजा 18 तारीख को है लेकिन धार्मिक विधि-विधान 16 तारीख से ही शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि 16 तारीख को सुबह 11 बजे से अष्टयाम आरंभ होगा। 17 तारीख को सुबह 5 बजे बुधा से एक भव्य शोभायात्रा निकलेगी। जिसका उद्देश्य शहर वासियों को फलहरिणी काली का पूजा के बारे में जानकारी प्रदान करना है। शोभायात्रा निकलेगी और शहर की परिक्रमा करते हुए उषाग्राम दुर्गा मंदिर होकर जीटी रोड होते हुए मां घाघरबुरी मंदिर परिसर में आकर शोभायात्रा समाप्त होगी। इसके उपरांत उसी दिन सुबह 11:00 बजे के आसपास अष्टयाम की पूर्णाहुति होगी। इसके उपरांत 18 मई को फलहरिणी काली का पूजा का आयोजन होगा जिसमें 10 कन्याओं को लेकर कुमारी पूजन का आयोजन किया जाएगा। वहीं उसी दिन शाम को बाउल गीत उसके उपरांत भजन संध्या का आयोजन होगा। 9:30 से मां फलहरिणी की पूजा आरंभ होगी। 10:00 बजे से यज्ञ आरंभ होगा और प्रसाद का वितरण भी उसी समय से शुरू हो जाएगा। वहीं रूपेश कुमार साव ने बताया कि हर साल की तरह इस साल भी मां फलहरिणी काली का पूजा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह इस आयोजन का 37वा साल है। इससे पहले 36 सालों से अनवरत इस पूजा का आयोजन किया जाता रहा है। कोरोना काल के लिए सिर्फ 2 साल बड़े पैमाने पर इसका आयोजन नहीं हो सका था। सिर्फ धर्मचक्र सेवा समिति के सदस्यों को लेकर ही पूजा का आयोजन किया गया था। लेकिन बाकी के सालों में भव्य तरीके से मां का पूजन हुआ था। उन्होंने सभी आसनसोल वासियों से इस पूजा में सम्मिलित होने का आग्रह किया।