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जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का नाम रासलीला – अनिरुद्ध जी महाराज

आसनसोल। आसनसोल के सेनरेले स्थित कन्यापुर हाई स्कूल के समक्ष मैदान में सप्तहव्यापी श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानभक्ति महायज्ञ श्री श्याम सुंदर दास जी महाराज के तत्वावधान में एवं ननी गोपाल मंडल, शांतारानी मंडल, जयदेव मंडल, सुकदेव मंडल, बुद्धदेव मंडल सहित पूरा मंडल परिवार की ओर से शुभारंभ हुआ। वृंदावन से श्रद्धेय अनिरुद्ध जी महाराज भागवत कथा पाठ कर रहे हैं। मंगलवार इसका छठवां दिन था। पांचवे दिन भी हजारों की तादाद में श्रद्धालु और उनके भक्त श्रीमद्भागवत पाठ का श्रवण करने मैदान में पहुंचे। श्री अनिरुद्धाचार्य जी महाराज ने उपस्थित भक्त मंडली के सामने श्रीमद् भागवत गीता को अपने मुखारविंद से भक्त मंडली को श्री कृष्ण की लीला के बारे में लोगों को बताया। उन्होंने कहा कि किस तरह से श्री कृष्ण यमुना किनारे गोपियों के संग रास रचाते हैं। उनकी बांसुरी की धुन सुनकर गोपियां मदमस्त होकर खींची आती है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से श्री कृष्णा बांसुरी बजाते हैं। उससे बड़ी-बड़ी समस्याओं का निराकरण हो जाता है। युद्ध से यह समस्या का समाधान नहीं होता श्री कृष्ण की मुरली की तान से उनका समाधान हो जाता है। शरद पूर्णिमा की रात में जब श्री कृष्ण बांसुरी बजाते हैं तब गोपियां अपने सारे काम छोड़ कर आ जाती हैं। अनिरुद्धाचार्य जी ने कहा कि अगर कोई औरत भगवान को अपना पति मानती है तो इसमें कोई गलती नहीं है। क्योंकि जो भक्त भगवान को जिस रूप में देखता है। वैसा ही पाता है। उन्होंने कहा कि जो औरत भगवान को अपने पति के रूप में पूजती है। भगवान उसे द्वापर युग में गोपी बनाती है। वहीं जो भगवान को अपनी संतान के रूप में देखती है। उसे किसी न किसी युग में भगवान यशोदा के रूप में पृथ्वी पर भेजते हैं। उनका कहना था कि जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का नाम रासलीला है। लेकिन अगर यही काम कोई इंसान करें तो वह गलत है। क्योंकि इंसान की तुलना भगवान से नहीं हो सकती। देवा दी देव महादेव ने जहर पिया था अगर एक आम इंसान जहर पीता तो मर जाता। लेकिन भगवान शिव को कुछ नहीं हुआ। क्योंकि वह भगवान है। उन्होंने कहा कि जब भगवान श्री कृष्ण गोपियों संग रासलीला रचा रहे थे। तब उनकी उम्र सिर्फ 8 साल थी। कामदेव वहां आए थे और उन्होंने भगवान श्री कृष्ण पर प्रभाव विस्तार करने की कोशिश की लेकिन वह सफल नहीं हुए। इसके उपरांत वह भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा याचना करने लगे।

 

इस पर भगवान श्री कृष्ण ने कामदेव को अपना पुत्र बना लिया और कामदेव नहीं भगवान श्री कृष्ण को अच्युत नाम दिया। भगवान श्री कृष्ण के प्रथम पुत्र प्रद्युम्न कामदेव के अवतार हैं।

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