नारद जी जब भी किसी पर क्रोध करते हैं तो उसका कल्याण होता है, किंतु गांव वाले नारायण से बचकर रहना चाहिए, यह जब भी क्रोध करेंगे तो नुकसान करेंगे – राम मोहन महाराज
आसनसोल । आसनसोल के जीटी रोड स्थित बड़ा पोस्ट ऑफिस के पास महावीर स्थान मंदिर परिसर में महावीर स्थान सेवा समिति की ओर से 9 दिवसीय श्री राम कथा प्रवचन का आयोजन किया गया है। कथा व्यास श्रीश्री राम मोहन जी महाराज श्री राम कथा प्रवचन में पाठ कर रहे हैं।सोमवार को कथा के चौथे दिन श्री राम जी मोहन ने राम जन्म के ऊपर कथा सुनाए। उन्होंने राम जन्म के बहुत से कारण बताएं जिसमें पहला कारण जय विजय, दूसरा रावण कुंभकरण विभीषण और तीसरा नारद जी की कथा आती है। नारद जी को ब्रह्मा जी ने कहा कि काम क्रोध पर विजय प्राप्त किया। भगवान शिव ने काम पर विजय प्राप्त किया। तुमने तो काम क्रोध दोनों पर विजय प्राप्त किया। खुशी के मारे नारद जी सबसे पहले शिव जी के पास गए। नारद जी ने शिव से कहा कि हमने तो काम क्रोध दोनों को जीत लिया। भगवान शिव तुरंत समझ गए नारद जी को घमंड हो गया है। इनके अहंकार को तोड़ना जरूरी है, नहीं तो यह ब्राह्मण पथ भ्रष्ट हो जाएगा। उन्होंने नारद जी को विष्णु भगवान के पास भेज दिया। नारद जी विष्णु भगवान के पास गए। विष्णु भगवान ने भी नारद जी का अहंकार सुना। विष्णु भगवान ने कहा कि आप ऋषि मुनि है, आपको इन सब का क्या जरूरत। विष्णु भगवान ने नारद भगवान को माया क्या होती है। इसके बारे में बताया। नारद जी ने भगवान विष्णु से पूछा माया क्या होती है। तब भगवान ने जोगमाया को बुलाकर माया का जाल फैला दिया। उतने देर में नारद जी जहां खड़ा थे। वहां एक सुंदर गांव बन गया। चारों तरफ सुंदर-सुंदर मकान, फूल बगीचा हवाएं भी सुहानी होने लगी। उतने देर में उन्हें देखा कि एक घर की ओर सभी लोग जा रहे थे। नारद जी ने पूछा यहां क्या हो रहा है। बताया गया विश्व मोहिनी का स्वयंवर हो रहा है। विश्व मोहनी का रूप विष्णु भगवान ने खुद धारणकर रखा था। नाराज जी विश्व मोहनी को देखकर पागल हो गए। नारद जी विष्णु भगवान से कहा कि मुझे भी आपका रूप दे दो। हरि और हर, (हर का मतलब बंदर)हरि ने नारद जी की भलाई के लिए हरि में का रूप दिया। हर का रूप दिया। तुम स्वयंवर में चले जाओ। नारद जी उछलते कूदते हुए विश्व मोहिनी स्वयंवर में चले गए। नारद जी ने मन ही मन में सोचने लगे। विश्व मोहनी हमारे गले में माला डालेगी। विश्व मोहनी जिधर जिधर जाती, नारद जी उधर-उधर जाते थे। अंत में विश्व मोहनी ने विष्णु भगवान के गले में माला डाल दी। इससे नारद जी बहुत क्रोधित हो गए। उपस्थित लोगों ने नारद जी को कहा कि पहले अपना रूप तो देखो। नारद जी ने अपना रूप आईना में देखा तो बंदर नजर आया। इसे नारद जी विष्णु भगवान पर भड़क उठे और क्रोध में भगवान विष्णु को श्राप दे दिए। तुम्हारा भी मृत्यु लोक में अवतार होगा। जैसे नारी के बिना हम पागल हुए। वैसे तुम भी नारी के विरह में जंगल जंगल घूमते रहोगे। हमें तो तुमने बंदर का रूप दिया। यही बंदर आपकी सेवा करेंगे। क्रोध में कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए। नारद जी जब भी किसी पर क्रोध करते हैं लोगों का कल्याण होता है। किंतु गांव वाले नारद से बचकर रहना चाहिए। यह जब भी क्रोध करेंगे तो नुकसान करेंगे। चौथे दिन राम कथा में मुख्य जजमान अरविंद कुमार शुक्ला, दीपक भट्ट, कंचन गुप्ता, अमर भगत, जगदीश पंडित, राजकुमार मंडल, प्रेमचंद केसरी, रानी भगत, विमल गुप्ता, इंद्राणी साव, प्रभात शर्मा, स्मिता शर्मा ने आरती और पूजन किया। मौके पर जगदीश प्रसाद केडिया, अरुण शर्मा, बालाजी ज्वेलर्स के मालिक प्रभात अग्रवाल, संजय शर्मा, दिनेश लड़सरिया, बजरंग लाल शर्मा, अमर भगत, अनिल सहल, जितेंद्र बरनवाल, सावरमल अग्रवाल, बंसीलाल डालमिया, संजय अग्रवाल, प्रकाश अग्रवाल, शिव प्रसाद बर्मन, अरुण बरनवाल, सुरेंद्र केडिया, प्रेम गुप्ता, प्रेमचंद केसरी, संजय शर्मा, विनोद केडिया, विकास केडिया, वासुदेव शर्मा, महेश शर्मा, सज्जन भूत, मुन्ना शर्मा, मुकेश शर्मा, मनीष भगत, अभिषेक बर्मन, राजू शर्मा, मुंशीलाल शर्मा, प्रकाश अग्रवाल, अक्षय शर्मा, अजीत शर्मा, राजकुमार केरवाल, निरंजन पंडित, जगदीश पंडित, श्याम पंडित, विद्यार्थी पंडित, बजरंग शर्मा, रौनक जालान, दीपक गुप्ता सहित सैकड़ों गण्यमान्य श्रद्धालु शामिल थे।