आसनसोल में माँ शाकम्भरी के नाम की धुम
आसनसोल । गुरूवार को माँ शाकम्भरी जयन्ती उत्सव शाकम्भरी परिवार आसनसोल के द्वारा स्थानीय सिधानियाँ भवन ,नेताजी सुभाष रोड ,आसनसोल में शाक भवानी मात शाकम्भरी का 10वां वार्षिक उत्सव सह माता का प्राकट्य उत्सव आयोजित किया गया जिसमें मनमोहक श्रृंगार, अखंड ज्योत, मेंहदी, गजरा, चुनड़ी उत्सव, भजन संध्या, महाप्रसाद, सवामणी आदि कार्यक्रमों का आयोजन देर रात तक चला। कार्यक्रम में कोलकत्ता के सुविख्यात गायक माता प्रेमी पकंज भाई जोशी , रानीगंज की प्रसिद्ध गायिका सीतु राजस्थानी एवं शाकम्भरी परिवार आसनसोल की मैया का लाडली बेटीयाँ अपने सुमधुर भजन मैया को सुनायी , पकंज भाई के गाये भजनो से पुरा भवन मत्रं मुग्ध हो गया ऐसा प्रतित हो रहा था की ये कार्यक्रम राजस्थान स्थित सकरायधाम में माता मन्दिर प्रांगण मे हो रहा है। माता का सजा दरबार भक्तो को आक्रर्षित कर रहा था। सैकड़ो की सख्या में भक्तो ने महाप्रसाद ग्रहण किया।
सस्थाँ के सदस्य महेश क्याल, सजंय सुलतानियाँ , सतीश कयाल, शकंर क्याल ने बताया कि
पौराणिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय जब पृथ्वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक का माहौल पैदा किया तब करीब सौ वर्ष तक वर्षा न होने के कारण अन्न-जल के अभाव में भयंकर सूखा पड़ा, जिससे लोग मर रहे थे, जीवन खत्म हो रहा था। उस दैत्य ने ब्रह्माजी से चारों वेद हासिल कर लिए थे। तब आदिशक्ति मां जगदम्बा शाकम्भरी देवी के रूप में अवतरित हुई, जिनके सौ नेत्र थे। भक्तों की दशा देखकर करुणामयी माता के सौ नेत्रों से आंसू निकले और इस तरह पूरी धरती में जल का प्रवाह हो गया। अंत में माता ने शाकम्भरी रूप में दुर्गम दैत्य का अंत किया जिसके कारण उनका नाम दुर्गा देवी प्रसिद्ध हुआ। माता का बिशाल मन्दिर सकरायधाम मे स्थित है, श्री शाकंभरी माता का यह गाँव सकराय अब आस्था का केंद्र है। सुरम्य घाटियों के बीच बना शेखावाटी प्रदेश के सीकर जिले में यह स्तिथ है। यह मंदिर सीकर जिले से 51 की.मी. दूर अरावली की हरी भरी वादियों में बसा हुआ है। झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी के समीप यह मंदिर उदयपुरवाटी गाँव से 16 की.मी. की दूरी पर है। यहाँ के आम्रकुंज एवं निएमल जल का झरना आने वाले भक्तों का मन मोहित कर लेते है। आरम्भ से ही इस शक्तिपीठ पर नाथ सम्प्रदाय का वर्चस्व रहा है,जो की आज भी कायम है।इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में किया गया था।