जिसकी जैसी भावना उनकी वैसी सोच – सुरेन जालान
आसनसोल । आसनसोल के विशिष्ट व्यवसायी सुरेन जालान ने कहा कि स्वयं के मान्यता से लोकतंत्र में पहली छूट अपने धर्म एवं अनुष्ठान की होती है। पद पर रहते हुए भी व्यक्तिगत उत्सव में निमंत्रण आने पर किसी भी विशेष अनुष्ठान में जाना न जाना यह उनकी अपनी सोच है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ जी एवं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का होना। यह उनकी योग्यता एवं मेहनत है। क्या योग्य पुरुष योग्य होकर भी दोनों पदों पर होने पर निमंत्रण आने पर क्या वे अपने किसी व्यक्तिगत उत्सव में नहीं जा सकते। एक सार्वजनिक कहावत है, जिसकी जैसी भावना उनकी वैसी सोच। आज के युग में कुछ विपक्षी नेता इस पर भी राजनीतिक कर रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है एवं भारतीय संस्कृति के विरुद्ध है।