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कोरोना नियमों का पालन करते हुए शिल्पांचल में हुआ सिंदुर खेला


आसनसोल । आज विजया दशमी है यानी 4 दिनों तक चले दुर्गापूजा के समापन का दिन। बंगाल सहित पुर्वी भारत में मान्यता है कि षष्ठी के दिन मां दुर्गा अपने बच्चों के साथ अपने पिता के घर आती है और मायके में चार दिनों के प्रवास के बाद वह अपने पति के घर लौट जाती है। यही वजह है कि आज मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया जाता है। मां के मनोहारी रुप के दर्शन करने और उनको इस साल के लिए अंतिम बार प्रणाम करने महिलाएं और पुरुष श्रद्धालु पंडालों में जुटे। विवाहिता महिलाएं मां के चरणों में सिंदुर लगातीं हैं फिर उसी सिंदुर से एक दुसरे को भी रंग देती हैं। इसे सिंदुर खेला कहा जाता है। हालाकि पिछले साल की तरह इस साल भी राज्य सरकार और उच्च न्यायालय द्वारा बनाए गए। कोरोना नियमों के कारण सिंदुर खेला का आयोजन नहीं किया जा सका। लेकिन इससे भक्तों की श्रद्धा में कोई कमी नहीं आई। राज्य सरकार और उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार पूजा कमेटियों की ओर से व्यापक रूप से सिंदुर खेला किया गया। लेकिन परंपरा निभाने के लिए कोरोना के सभी नियमो का पालन करते हुए काफी कम संख्या में ही महिलाओं को पंडालों में प्रवेश की अनुमति दी गई। दरअसल मां के चरणों को स्पर्श किए हुए सिंदुर को अपनी मांग में भरने को महिलाएं बेहद पवित्र मानती हैं। मान्यता है कि इससे उनके पति का मंगल होता है और परिवार पर मां की कृपादृष्टि बनी रहती है।

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