रानीगंज के दो छात्र यूक्रेन से सकुशल घर लौटे
रानीगंज । रानीगंज के दो मेडिकल छात्र शनिवार दोपहर यूक्रेन से घर लौट आए। उन्होंने एक विशेष विमान में भारत के अन्य छात्रों के साथ यूक्रेन से भारत के लिए उड़ान भरी और फिर छात्र अंडाल के काजी नजरूल इस्लाम हवाई अड्डे पर पहुंचे। इन सभी छात्रों के साथ रानीगंज शहर से 2 छात्र भी घर पहुंचे। रानीगंज के शिशु बागान क्षेत्र निवासी रोहित कुमार सिंह और राम बगान क्षेत्र के डॉ. सुरेश कुमार की पुत्री आकांक्षा सुमन शनिवार दोपहर पहुंची। दोनों छात्रों के घर लौटने के बाद घर के सदस्यों के चेहरों पर खुशी देखी गई। इनके सकुशल घर लौटने पर छात्रों के परिवारों ने राहत की सांस ली। शनिवार को जब रानीगंज विधायक तापस बनर्जी को सूचना मिलते वह सबसे पहले शिशु बागान क्षेत्र के रहने वाले रोहित कुमार सिंह के घर पहुंचे और उनसे अपने अनुभव के बारे में बात की और वहां उन्होंने अपने दिन कैसे बिताया। विधायक ने उनको गुलदस्ता देकर कर सम्मानित किया। राम बागान इलाके में पहुंचकर विधायक आकांक्षा सुमन से बात की, परिजनों से बात की और बच्ची के घर लौटने पर शुभकामना दी। रानीगंज के विधायक तापस बनर्जी ने कहा कि जो छात्र घर वापस आने में सफल हुए हैं उनके परिवार ने तो राहत की सांस ली है। लेकिन अब भी भारत और बंगाल के कई छात्र यूक्रेन में फंसे हुए है। उनको भी वापस लाने की जिम्मेदारी देश की ही है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि अभी भी जो छात्र यूक्रेन में फंसे हुए है। उनको भी जल्द से जल्द वापस लाने की कोशिश की जाए। ताकि उनके परिवार वाले भी राहत की सांस ले सके। इसके साथ ही छात्रों में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए गए थे उनका भविष्य नष्ट न हो यह सुनिश्चित करना भी है। क्योंकि कोई नहीं जानता कि आने वाले समय में युग की हालत कैसी होगी या अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाई पूरी करने के लिए भेजेंगे या नहीं ऐसे में छात्रों की पढ़ाई पूरी हो यह सुनिश्चित करना भारत सरकार की जिम्मेदारी है। आईएम की केंद्रीय समिति के सदस्य डॉ. एसके बसु छात्रों की वापसी की खबर सुनकर छात्र के परिवार को आश्वस्त किया कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएंगे कि भविष्य में छात्रों को उनकी पढ़ाई में कोई कठिनाई न हो । आकांक्षा ने कहा कि उनका खुशी है कि वह वापस लौटने में सफल हुई लेकिन अब भी उनके कई दोस्त वहां बकरों में फंसे हुए है। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई कि उनको भी वापस लाने के लिए कोशिश की जाए। इसके साथ ही उन्होंने कहां की अगर संभव हुआ तो यूक्रेन वापस जाएंगे लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं हुआ तो वह चाहेंगे कि उनकी पढ़ाई भारत में ही पूरी हो।