ईस्टर्न रेलवे के तीन स्कूलों के बंद करने के खिलाफ डीआरएम कार्यालय के सामने प्रदर्शन, आरपीएफ जवानों के साथ धक्का-मुक्की
आसनसोल । तृणमूल कांग्रेस प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संगठन, नागरिक मंच और तीनों स्कूल के हजारों अभिभावक की तरफ से रेलवे द्वारा आसनसोल में रेल स्कूलों को बंद करने के फैसले के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया गया। आसनसोल में जीटी रोड के किनारे स्थित रेलवे स्कूल से शिक्षक संगठन के नेता और टीएमसी पार्षद अशोक रुद्रा के नेतृत्व में एक विरोध रैली निकली जो कि डीआरएम कार्यालय तक गई। यहां डीआरएम कार्यालय के गेट के सामने शिक्षक संगठन के सदस्यों ने जोरदार नारेबाजी की और रेलवे के इस फैसले का विरोध किया। डीआरएम गेट पर आरपीएफ को तैनात किया गया था। वहीं बैरिकेड भी लगाया गया था। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश किया। मौके पर तैनात आरपीएफ जवानों के साथ धक्का मुक्की हुई। प्रदर्शनकारियों ने बेरिकेड्स को तोड़ते हुए परिसर में प्रवेश किया। अशोक रुद्रा अपने वक्तव्य में यह साफ कर दिया कि तृणमूल कांग्रेस प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संगठन किसी भी कीमत पर इन स्कूलों को बंद करने नहीं देगा। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में मंत्री मलय घटक ने डीआरएम और पश्चिम बर्दवान जिला शासक से बैठक की है और तृणमूल कांग्रेस शिक्षक संगठन रेलवे को अपने फैसले को वापस लेने के लिए बाध्य करके रहेगा। वही उनका कहना है कि जिस तरह से रेलवे द्वारा एक तरफा फैसला लिया गया और एक निजी स्कूल को रेलवे के स्कूलों में प्रवेश कराने की कोशिश की जा रही है। वह अनुचित है उन्होंने कहा कि रेलवे भारत की लाइफ लाइन है और इस तरह से वह बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकती। इस मौके पर तृणमूल प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संगठन के तमाम पदाधिकारी और सदस्य गण उपस्थित थे। वहीं इस विरोध रैली को देखते हुए रेलवे की तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे । इसके उपरांत आसनसोल नगर निगम के चेयरमैन अमरनाथ चटर्जी, अभिजीत घटक, वशिमूल हक, उत्पल सिन्हा के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों की तरफ से एक प्रतिनिधिमंडल ने डीआरएम परमानंद शर्मा से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने डीआरएम से अपील की कि रेलवे के इन स्कूलों को बंद न किया जाए क्योंकि यह स्कूल आसनसोल की धरोहर है। और इन स्कूलों में हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ाई करते हैं। ऐसे में अचानक इन स्कूलों को बंद कर देने का मतलब इनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करना होगा। डीआरएम ने कहा कि रेलवे नीतिगत फैसला ले चुकी है कि जिन कार्यों में रेलवे की विशेषता नहीं है उन कार्यों से वह खुद को अलग करेगी। रेलवे के पास शिक्षा प्रदान करने के लिए जो विशिष्टता होनी चाहिए। वह नहीं है यही वजह है कि रेलवे खुद को पठन-पाठन से अलग करना चाहती है। वहीं रेलवे के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को अन्य स्कूलों में भर्ती किए जाने के मामले पर डीआरएम ने कहा कि किसी भी बच्चे के अभिभावक पर यह दबाव नहीं डाला जाएगा कि उनको किन स्कूलों में भर्ती किया जाए। यह फैसला संपूर्ण रूप से बच्चों के अभिभावक लेंगे।
वहीं शिक्षकों के मुद्दे पर डीआरएम ने कहा की धीरे धीरे शिक्षक सेवानिवृत्त होते जाएंगे तब तक इन बच्चों को अन्य स्कूलों में दाखिला दे दिया जाएगा। उसके बाद भी जो शिक्षक बच जाएंगे उनको रेलवे के अन्य कार्यालय में बहाल कर दिया जाएगा। इसके उपरांत प्रदर्शनकारियों की मांग को मानते हुए डीआरएम परमानंद शर्मा प्रदर्शनकारियों के समक्ष आए और कहा कि वह उनकी मांग को अपने उच्चाधिकारियों तक पहुंचाएंगे।