आसनसोल । यह अजीब लगता है, लेकिन यह असंभव नहीं है। ऐसा तब हो सकता है जब पूर्ण विकसित पुरुष जिनमें यौवन के दौरान शारीरिक परिवर्तन हुए हों, लेकिन उनकी ऊंची आवाज अपरिवर्तित रहती है। प्रभावित लोगों में वास्तव में आवाज की समस्या होती है जिसे प्यूबरफोनिया के नाम से जाना जाता है। ऐसा ही एक व्यक्ति शिल्पांचल के आसनसोल बाजार स्थित कमला भवन में रहता है। जिसका नाम अनिल शहल है। जिसकी बात चीत महिलाओं जैसी है। फिलहाल वह महिला की आवाज में फिल्मी और भक्ति गीत गाने में फेमस है। इसके अलावा वह मेंहदी लगाने में काफी प्रसिद्ध है। वह आसनसोल के अलावा दूसरे राज्यों में भी मेंहदी लगाने में काफी लोकप्रिय है। उसे विदेश में भी मेंहदी लगाने का ऑर्डर मिला है मगर पासपोर्ट नहीं होने के कारण वह विदेश नहीं जा सकता है।
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अनिल शहल राजस्थान में जन्म हुआ था। उसके पिता ज्योतिषाचार्य स्व. राधेश्याम शहल 3 वर्ष की आयु में आसनसोल लाए थे। वह इस्माइल गुरुनानक स्कूल में 9वीं तक पढ़ाई की। अनिल शहल ने बताया कि वह 15 वर्ष की उम्र से महिला की स्वर में फिल्मी और भक्ति गीत गाना शुरू किया था। पहला स्टेज प्रोग्राम वह रानीगंज में किया था। महिला के स्वर में उसने ढेरो की प्रस्तुत किया। उसके बाद से वह एक लेडिस फेमस सिंगर बन गया। पारिवारिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने मेंहदी लगाने का कार्य सीखा। किसी भी ओकेशन में वह मेंहदी लगता है। शादी विवाह में वर वधू, धार्मिक कार्यक्रम में महिला और पुरुषों को मेंहदी लगाने में इतना फेमस हुआ की आज के समय में उसे विदेश में भी लोग बुलाने लगे है। वहीं उसका पासपोर्ट नहीं होने के कारण विदेश नहीं जा सकता है। मेंहदी के कार्य में इतना व्यस्त रहता है की वह गीत संगीत से दूर होते गया। आज भी खाली समय में महिला की आवाज में राग जपता है।
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सावन महीना में उसे मेंहदी लगाने के काम से फुर्सत नहीं मिलता। जिसके वजह से वह गीत संगीत से दूर होता गया। आज भी जब वह अपनी पुरानी धुन में गाने लगता है तो लोग अपनी काम छोड़कर उसकी गीत सुनने लगते है। अभी भी अनिल शहल को यदि कोई स्टेज कार्यक्रम मिलने पर वह अपनी गाने को जरूर प्रस्तुति देंगे।