परिरा कर्मकार पाड़ा के विश्वकर्मा पूजा मनाया जाता है दुर्गापूजा के तर्ज पर, कर्मकार पाड़ा का विश्वकर्मा पूजा 105 वर्ष का प्राचीनतम
आसनसोल । निगम के 14 नंबर वार्ड परिरा ग्राम स्थित कर्मकार पड़ा प्राचीनतम 105 वर्ष की विश्वकर्मा प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष बड़े धूमधाम से मनाया गया। चार दिवसीय विश्कर्मा पूजा बड़े धूमधाम से सोमवार को शुरू हुआ। कर्मकार पाड़ा की यह विश्वकर्मा पूजा अपने आप में एक अनोखा पूजा है। ग्राम की यह प्रधान पूजा यानी दुर्गा पूजा के जैसे मनाते हैं। महिला, पुरुष, बच्चे सभी इस दिन जैसे दुर्गा पूजा में नया वस्त्र पहनते हैं। उसी प्रकार विश्वकर्मा पूजा में भी नया वस्त्र पहन कर पूजा करते हैं एवं तीन दिनों तक खुशियां मनाते हैं। तीन दिनों में प्रत्येक दिन यात्रा, सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जाता है। पूजा के दौरान कर्मकार पाड़ा के जितने लोग कर्म संस्थान के लिए दूसरे राज्यों में रहते हैं। वे लोग विशेष करके छुट्टी लेकर ग्राम आते हैं। सभी लोग जानते हैं कि विश्वकर्मा भगवान के वाहन हाथी है मगर कर्मकार पाड़ा के विश्वकर्मा पूजा में विश्वकर्मा जी का वाहन जम्मूवान और दोनों तरफ जया और विजय रहती है। रात्रि में एक विशेष परंपरा है कि मां बूढ़ी की छाता उड़ाई जाती है, जिसे यह लोग शुभ मानते हैं। सरस्वती पूजा के समय जिस प्रकार से प्रसाद सीजनों के रूप में बनता है। इस ग्राम के लोग विश्वकर्मा पूजा में सीजनों को प्रसाद के रूप में भोग लगाते है। अर्थात बीते रविवार की रात भोजन पकाते हैं। जिसे यह लोग सोमवार को पूजा करके प्रसाद के रूप में भोग खाया। मंदिर में लोग जो मन्नत मांगते हैं एवं जिनकी मन्नत पूरी होती है। वे लोग सोने के जेवरात चढ़ाते हैं। जब प्रतिमा का विसर्जन होता है उसे समय सोने के गहनों को खोलकर कमेटी के बैंक अकाउंट के लॉकर में जमा कर दिया जाता है। प्रतिमा एक महीना से बनना शुरू हो जाती है। मंदिर में दो पंडित रक्षित चक्रवर्ती और प्रवीण चक्रवर्ती पूजा करते हैं।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में बोरो चैयरमैन उत्पल सिंह उपस्थित थे। कमेटी के अध्यक्ष मिहिर कर्मकार, सचिव तपन कर्मकार, कोषाध्यक्ष हाराधन कर्मकार, सदस्य परिमल कर्मकार, सजल कर्मकार, बदल कर्मकार, निमाई कर्मकार, अमल कर्मकार सहित पूरे कर्मकार पाड़ा लोग उपस्थित थे।