दुर्गापुर के निजी हस्पताल पर लगा स्वास्थ्य साथी कार्ड के रहते पैसा लेने का लगा आरोप
दुर्गापुर । स्वास्थ्य साथी कार्ड के रहने के बावजूद भी लाइफ केयर अस्पताल में पैसे की कि जा रही है मांग। अस्पताल के सीईओ का है यह कबूल नामा पत्रकारों द्वारा सवाल पूछे जाने पर दुर्गापुर लाइफ केयर अस्पताल के सीईओ सतोदल दत्ता ने यह स्वीकार किया है कि सरकार द्वारा स्वास्थ्य साथी कार्ड पर दिए जा रहे पैसे पर्याप्त नहीं है। इसीलिए अस्पताल में अतिरिक्त पैसे की मांग की जा रही है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के द्वारा स्वास्थ्य साथी कार्ड लागू किया गया। जिसमें अस्पताल में मरीज का इलाज के लिए 5 लाख रुपया का हेल्थ कार्ड बनाया गया है। लेकिन जमीनी स्तर पर क्या स्वास्थ्य साथी कार्ड आम लोगों के लिए मददगार साबित हुआ है। यह अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्योंकि आए दिन अस्पताल से खबरें सामने आती है कि स्वास्थ्य साथी कार्ड पर मरीज को एडमिट करने के बावजूद भी अस्पताल के द्वारा अतिरिक्त पैसे की मांग की जाती है। इस बार यह मामला दुर्गापुर के सिटी सेंटर स्थित लाइफ केयर अस्पताल से आया है। जहां नागेश्वरी देवी नाम की एक महिला स्वास्थ्य साथी कार्ड पर दुर्गापुर लाइफ केयर अस्पताल में भर्ती हुई। लेकिन स्वास्थ्य साथी कार्ड पर भर्ती होने के बावजूद भी पहले मरीज के परिजनों से 30 हजार रुपया की मांग की गई और तब तक उनका इलाज शुरू नहीं किया गया जब तक परिवार वालों ने कुछ पैसे अस्पताल में जमा नहीं करवाई। अस्पताल के द्वारा परिवार वालों को परेशान करने के बाद परिवार वालों ने10 हजार रुपया नगद अस्पताल में जमा करवाए। परिवार वालों ने बताया कि वह 30 हजार उनसे नगद मांगे गए। लेकिन उस वक्त उन्होंने 10 हजार रुपया अस्पताल में जमा करवाए। जिसका न ही उन्हें कोई अस्पताल के द्वारा बिल दिया गया। इतना ही नहीं नागेश्वरी देवी के परिवार वालो का यह भी आरोप है कि मरीज के परिवार वालों को बिना सूचित किया। मरीज को अस्पताल से यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया गया की उनके पास अस्पताल में फुल टाइम चिकित्सक उपलब्ध नहीं है। इतना ही नहीं जो 10 हजार रुपया मरीज के परिवार वालों ने अस्पताल में जमा करवाए थे। वह उन्हें वापस भी नहीं दिया गया। अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि मैनेजमेंट के द्वारा उनसे कहा गया है कि जो पैसे डिपाजिट है। वह रिफंड नहीं होंगे। वही इस विषय में अस्पताल के सीईओ सतोदल दत्ता से जब पूछा गया तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि स्वास्थ्य साथी कार्ड के जरिए हो रहे इलाज का पैसा अस्पताल के लिए पर्याप्त नहीं है। इसीलिए वे लोग पैसे की मांग करते हैं। हालांकि वह अपने ऊपर लगे आरोपों से बचते हुए नजर आए। वही इस विषय में बीजेपी के नेता जितेंद्र तिवारी ने स्वास्थ्य साथी कार्ड को स्वास्थ्य शत्रु का नाम दिया और कहा कि स्वास्थ्य साथी कार्ड केवल नाम के लिए है। वास्तव में इसका फायदा लोगों को नहीं मिल रहा है। इसीलिए स्वास्थ्य साथी कार्ड के बजाय आयुष्मान भारत कार्ड को बंगाल में लाना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ ततृणमूल कांग्रेस के पश्चिम बर्दवान जिला परिषद के उपाध्यक्ष विष्णुदेव नोनिया से बात की तो उन्होंने कहा कि जो अस्पताल ऐसा कर रहे हैं। उन पर कार्रवाई होनी चाहिए। लेकिन नागेश्वरी देवी जैसी न जाने कितने लोग अस्पताल के इस धांधली के चक्रव्यूह में फसते जाते हैं। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ उन्हें निराशा ही हाथ लगती है। वही इस मामले में सीएमओएच से जब बात की तो उन्होंने बताया कि इस मामले की अभी उनको जानकारी नहीं है अगर ऐसा कुछ हुआ है तो इस तरह का होना नहीं चाहिए अगर हमारे पास कोई शिकायत आएगा तो कार्रवाई करेंगे।