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दुर्गापुर में मनाया गया विश्व फिजियोथेरेपी डे

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दुर्गापुर । दुर्गापुर सिटी सेंटर चतुरंग मैदान के पास नॉन कंपनी रिक्रिएशन क्लब परिसर में फिजियोथेरेपी एसोसिएशन ऑफ दुर्गापुर और नॉन कंपनी रिक्रिएशन क्लब के सदस्य संयुक्त रूप से विश्व फिजियोथेरेपी डे का पालन किया। वर्ल्ड फिजियोथैरेपी डे कार्यक्रम का उदघाटन दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। मौके पर फिजियोथैरेपी जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस बार वर्ल्ड फिजियोथैरेपी डे का थीम लो बैक पेन था। इस बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए फिजियोथेरेपी एसोसिएशन ऑफ दुर्गापुर के सदस्य डॉ. पल्लव चक्रवर्ती ने बताया कि आज वर्ल्ड फिजियोथैरेपी दे है। 1996 से इस दिन को मनाया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ल्ड कनफेडरेशन ऑफ फिजियोथैरेपी का आज स्थापना दिवस है। इस संगठन की स्थापना 1951 में हुई थी 1996 से हर साल वर्ल्ड फिजियोथैरेपी डे मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि फिजियोथेरेपी एसोसिएशन का दुर्गापुर की तरफ से हर साल इस दिन को मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस साल वर्ल्ड फिजियोथैरेपी डे का थीम लो बैक पेन है आज शहर में लोगों को लो बैक पेन के बारे में जानकारी प्रदान की गई और किस तरह से वह लो बैक पेन को दूर कर सकते हैं इसके बारे में उन्हें बताया गया। उन्होंने कहा कि लो बैक पेन की शिकायत से आजकल बहुत सारे लोग जूझ रहे हैं। फिजियोथेरेपी के माध्यम से इनका इलाज किया जाता है। बीमारी गंभीरता को देखते हुए इलाज किया जाता है जिससे कि लोगों को बार-बार इस परेशानी से जुझना न पड़े। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि फिजियोथैरेपी का कोर्स साढ़े चार साल का होता है। लेकिन आज की तारीख में ऐसे कई लोग हैं जो इस तरह का कोर्स नहीं करते हैं। उनको फिजियोथेरेपी के बारे में मुकम्मल ज्ञान नहीं होता। लेकिन वह फिजियोथैरेपी करना शुरू कर देते हैं। उन्होंने लोगों से ऐसे व्यक्तियों से बचने का आग्रह किया क्योंकि इससे उनकी परेशानी और बढ़ सकती है। वहीं उन्होंने कहा कि उचित व्यायाम के माध्यम से, हम समस्या को रोक सकते हैं, जीवनशैली को बढ़ावा दे सकते हैं और समस्या से छुटकारा पा सकते हैं और अपने जीवन को सार्थक बना सकते हैं। वे समाज के लिए प्रभावी लाभ में योगदान दे सकते हैं। दर्द निवारक दवाएं अस्थायी रूप से दर्द को कम कर सकती हैं, योग्य फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा उचित उपचारात्मक व्यायाम डिजाइन मांसपेशियों की शक्ति को मजबूत कर सकता है, संयुक्त कार्य को बनाए रख सकता है और सहनशक्ति का निर्माण कर सकता है जिससे दर्द से पीड़ित लोग बेहतर जीवन जी सकते हैं और सामाजिक जीवन में सक्रिय भागीदारी कर सकते हैं। शिविर में डीएनबी टेस्ट 80 लोगों का हुआ। वही 65 लोगों का फिजियोथैरेपी हुआ। मौके पर डॉ.जयंत घोष, डॉ. ऋषभ शुक्ला, डॉ. प्रशांति लोंगिया, डॉ. स्मिता सहित अन्य मौजूद थे।  
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