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बांग्लादेश को लेकर व्यथित कवि नजरूल के चुरूलिया

जामुरिया । राष्ट्रकवि नजरूल की जन्मस्थली चुरुलिया गांव बांग्लादेश के मौजूदा हालात से दुखी है। कवि का परिवार भी व्यथित है। वे सभी चाहते हैं कि जल्द से जल्द पड़ोसी राज्यों में स्थिति वापस लौटे। परिजनों को अफसोस, यही हाल रहा तो भविष्य में बांग्लादेश जाना बंद कर देंगे। काजी नजरूल इस्लाम का जन्म चुरुलिया में हुआ, लेकिन उनकी मौत बांग्लादेश में हुई। उन्हें वहीं दफनाया गया। आज भी चुरुलिया में रहने वाले कवि के परिवार के सदस्य कवि को श्रद्धांजलि देने के लिए नियमित रूप से आते है। कवि का कुछ परिवार बांग्लादेश में रहता है। बंगाल में कवि के दो रिश्तेदार नियमित रूप से यात्रा करते थे। लेकिन, दोनों देशों में मौजूद कवि के परिवार के सदस्य मौजूदा गतिरोध को लेकर चिंतित हैं। वे सभी सारे मतभेद भुलाकर यथास्थिति में लौटना चाहते हैं। दोनों देशों के रिश्ते फिर से सामान्य हो जाएं। कवि का भतीजा रेजाउल करीम बुधवार को अपने घर में लगभग बहरा हो गया था। वह वर्तमान में चुरुलिया नजरूल अकादमी के संपादक हैं। बांग्लादेश के बारे में पूछे जाने पर रेजाउल ने कहा, ‘नजरुल एक दयालु कवि थे। लेकिन जिस देश के वो राष्ट्रकवि थे। उस देश में मानवता की हत्या हो रही है।” उनकी निराशा के लिए, कवि के माध्यम से दोनों बंगालों में एक सांस्कृतिक बंधन बनाया गया था। एक अजीब सा भाईचारा बन गया। रेजाउल ने कहा, “मौजूदा स्थिति के कारण मैं अब विदेश जाने में सहज महसूस नहीं करता हूं। अगर यही स्थिति रही तो मैं दोबारा वहां कभी नहीं जाऊंगा.” सिर्फ कवि का परिवार ही नहीं। चुरुलियावासियों को भी दुख है। चुरुलिया हाई स्कूल के मुख्य शिक्षक दीपांकर मजूमदार ने कहा, ”बांग्लादेश की स्थिति पर हमारे देश की सरकार फैसला करेगी। लेकिन, जिस देश का राष्ट्रकवि नजरूल जैसा इंसान हो, वहां मानवता हर दिन नष्ट हो रही है।” उनका मानना ​​है कि नजरूल समानता के कवि थे। हालाँकि, बांग्लादेश के कुछ नागरिकों ने वहाँ असमानता पैदा कर दी है। वे सभी चाहते हैं कि बांग्लादेश की स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाए। दोनों बंगाल के लोगों का भाईचारा फिर से विकसित हो।  

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