आसनसोल । एक तरफ आसनसोल रेलवे डिवीजन के डीआरएम सहित सभी कर्मचारी और अधिकारी इस बात के दावे करते हैं कि आसनसोल रेलवे डिवीजन की तरफ से यात्रियों और वर्तमान और पूर्व रेलवे कर्मचारियों को सभी प्रकार की सुविधा प्रदान की जाती हैं और आसनसोल रेलवे डिविजन हमेशा लोगों की सेवा के लिए तत्पर रहता है। लेकिन वास्तविकता कुछ और है। बुधवार आसनसोल रेलवे डिवीजन के रेलवे हॉस्पिटल में एक ऐसी तस्वीर देखी गई जो मानवता को शर्मसार करती है। आसनसोल रेलवे डिवीजन के एक पूर्व कर्मचारी शंभू सिंह कैंसर से पीड़ित हैं। वह मुंबई के टाटा मेडिकल रिसर्च हॉस्पिटल में इलाज करवा रहे थे। वहां पर उनका कीमोथेरेपी भी शुरू हो गया था। उसके बाद उन्हें बताया गया कि इसके बाद के कीमोथेरेपी वह आसनसोल रेलवे डिवीजन के अस्पताल में ले सकते हैं। लेकिन यहां पर आसनसोल रेलवे डिवीजन अस्पताल के अधिकारियों के लापरवाही की वजह से उन्हें उनके अगले केमो नहीं मिले। शंभू सिंह ने बताया की 1 अप्रैल को उनका दूसरा कीमोथेरेपी होना था और उसके 21 दिन बाद यानी आज उनका तीसरा कीमोथेरेपी लेना था। लेकिन तीसरा तो दूर उनका दूसरा कीमोथेरेपी भी अभी तक नहीं हुआ है। जब उन्होंने इस बारे में आसनसोल रेलवे डिवीजन अस्पताल के अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कोई सटीक जवाब नहीं दिया और उन्हें टालते रहे नतीजा यह हुआ कि उनका उनका कीमोथेरेपी सही समय पर नहीं मिला। शंभू सिंह ने बताया कि अब उनको क्या शारीरिक समस्या हो सकती है यह तो डॉक्टर ही बता सकते हैं। लेकिन वह यह पूछना चाहते हैं कि आखिर किसके लापरवाही की वजह से उनका उनका कीमोथेरेपी नहीं मिला। आज जब उन्होंने प्रदर्शन किया और अपने यूनियन के कुछ साथियों के साथ यहां पर आकर अधिकारियों से मुलाकात की तब उनको बताया जा रहा है कि कल सियालदह में उनका उनका केमो मिल जाएगा। लेकिन अभी तक उनको कीमोथेरेपी क्यों नहीं मिला। इसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। यह बड़े अफसोस की बात है कि एक तरफ आसनसोल रेलवे डिविजन यात्रियों और अपने वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों को सेवा देने को लेकर बड़े-बड़े दावे करता है। लेकिन एक कैंसर पीड़ित व्यक्ति के कीमोथेरेपी देने में भी वह नाकाम है।