संसद का शीतकालीन सत्र है महत्वपूर्ण विपक्ष पैदा न करे खलल
आसनसोल । संसद के शीतकालीन अधिवेशन में केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया। लेकिन इसके बाद भी किसानों द्वारा आंदोलन वापस नहीं लिया जा रहा है। इसे लेकर आसनसोल के विशिष्ट सामजसेवी सह व्यवसायी सुरेन जालान का कहना है कि मुंछे सजाकर पावरफुल रहना। यह देश विरोधी राकेश टिकैत एवं विदेशी ताकतों पर जिंदा रहने वाले कुछ विपक्षी संगठनों का आदर्श है। देश के प्रधानमंत्री ने किसान हित के लिए तीन बिल सदन द्वारा पारित किए थे। वह किसान हित के लिए ही थे मगर कुछ विघटनवादी, किसान बिल को उन्हें समझने नहीं दे रहे थे। देश के सभी विघटन वादी संगठनों एवं विदेशी पैसों की ताकतों पर हमारे देश को इनके हाथों से बचाने के लिए हमारे प्रधान का माफी मांगना बीते 29 नवम्बर को संसद एवं राज्यसभा में तीनों बिलो को वापस लेना देश हित के लिए सच्चा बलिदान है। हमारे देश में 5 वर्षों के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के इस समय में यानी 1825 दिनों में कोई ऐसा महीना नहीं है। जब पूरे भारतवर्ष में चुनाव की प्रतिक्रिया बंद रहती हो। चाहे वह पंचायत चुनाव हो, किसी राज्य में नगर पालिका चुनाव हो, एमएलए चुनाव हो, एमएलए -एमपी के मध्यवर्ती चुनाव हो। यह हमेशा चलते ही रहता है। इस पर भी विकास की आधारशिला रखने पर एवं विकास पूर्ण होने पर उद्घाटन करना चाहे वह सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति का अनावरण हो, काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर का अनावरण हो एवं जेवर जैसे हवाई अड्डे का शिलान्यास हो। सभी को कुछ विपक्षी दल एवं अपनी गद्दी के परिवारवाद को बचाए रखने के लिए देश की जनता को केवल भ्रमित करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। आज के दौर में कुछ विपक्षी दल, मंत्री एवं क्षेत्रीय पार्टियां खासतौर से दिल्ली के मुख्यमंत्री मुफ्त की योजना लागू कर अपनी पार्टी एवं परिवार का विस्तार वादी करण कर रहे हैं। सदन नहीं चलने देना। हंगामा एवं हो हल्ला करना। जनता के लिए के लिए बिलों को पास न होने देना। आज के दिनों में कुछ विपक्षी पार्टियों का एवं सांसदों का एवं राज्यसभा के सदस्यों का स्टेटस संकेत बन गया है। उन्हें मालूम होना चाहिए एक संसद सत्र चलाने में देश के करदाताओं का करोड़ों का खर्च होता है। सब से अनुरोध है।इन बातों को सोच समझकर देश हित के लिए हर विषय पर धैर्य पूर्वक चर्चा करके राष्ट्रहित एवं जनहित के लिए जो बिल पास करना हो।उसमें अपना सहयोग करें।ऐसा कोई भी बिल हो जिसमें देशहित एवं जनहित की बात ना हो। उसे चर्चा एवं वोट द्वारा पास न होने दें। यह संसद कालीन सत्र में सभी देशवासी बहुत आशावादी बने हुए हैं। उनकी आशा में पानी न फेरे। देशहित एवं जनहित सर्वप्रथम होना चाहिए।