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सुख में सुमिरन जो करें तो दुख काहे को होय” – सुरेन जालान


आसनसोल । अखिलेश यादव ने जो बयान दिया कि मंदिर वही जाते हैं, जो दुख में हो अथवा नींद न आ रही हो। उन्हें शायद यह मालूम नहीं कि हमारे कबीर दास जी ने साफ-साफ शब्दों में यह कहा है “सुख में सुमिरन जो करें तो दुख काहे को होय” उन्हें मालूम होना चाहिए उन्हें छोड़कर एवं उनके जिन्नावादी को छोड़कर सभी के सुख के दिन चल रहे है। उक्त बातें आसनसोल के सामजसेवी सह व्यवसायी सुरेन जालान ने कही। कबीर दास जी के दोहे को याद करके सभी सुखी राजनीतिक दल चाहे वह केशव प्रसाद मौर्या, अरविंद केजरीवाल, डॉ अमरिंदर सिंह, प्रियंका वाड्रा, चाहे ममता बनर्जी ही हो। यह लोग कतई भी मंदिर जाने में परहेज नहीं रखते। चाहे किसी भी धर्म के लोग हो। उन्हें सुख के दिनों में अपने धर्म के आधार पर सभी धर्मस्थलों पर जाने में एवं जीर्णोद्धार करने में कतई नहीं बरतनी चाहिए। सुख के दिनों में जिन्होंने इसे याद रखा वह आज भी सुखी है और कल भी सुखी रहेंगे। यह सबसे बड़ी गलती आपके पिता मुलायम सिंह ने राम भक्तों पर गोलियां चलाकर सुख के दिनों में की थी। इसका भुगतान आपको जिन्ना की याद दिलाने के लिए एवं सुख के लिए मजबूर कर रही है। कृपया यह नोट कर ले। सुख के दिनों में आप लोगों ने बहुतों को दुख दिया है और दुख देने का अवसर शायद ही भगवान आपको दे। मैं अखिलेश जी के इस बयान का जो उन्होंने दिया कि दुख के दिनों में नींद न आने पर मंदिर जाते हैं। पूरे विश्व के लिए भगवान को एवं अपने धर्म को क्रय का साधन बता रहे हैं। दुख में हो तो मंदिर जाओ, मस्जिद जाओ, गुरूद्वारे जाओ एवं गिरजाघर जाओ जैसे कि वह धार्मिक स्थल पूरा बिकाऊ हो। आप एक बात नोट कर ले कबीर जी के दोहे की सत्यता ही प्रमाण है। आपके अपशब्द एवं बयानबाजी हमेशा ही सबको दुख देती रहेगी। अपने अपने विचारों द्वारा अपने-अपने धर्म स्थलों पर जाना एवं उनका जीर्णोद्धार करना महान।

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