आसनसोल मंडल ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक भाग के रूप में सूर्य सेन की जयंती मनाई
आसनसोल । भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में “आजादी का अमृत महोत्सव” के आयोजन के हिस्से के रूप में, पूर्व रेलवे ने मंगलवार को मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय, पूर्व रेलवे आसनसोल के फ़ोयर(अग्र भाग में) में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी “सूर्य सेन” की जयंती समारोह का आयोजन किया। परमानंद शर्मा, मंडल रेल प्रबंधक/आसनसोल, बीके त्रिपाठी अपर मंडल रेल प्रबंधक-2 सहित पूर्व रेलवे के आसनसोल मंडल के शाखा अधिकारियों और कर्मचारियों ने सूर्य सेन के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। सूर्य सेन का जन्म 22 मार्च 1894 को वर्तमान बांग्लादेश के चटगांव के नोआपाड़ा गांव में हुआ था। सूर्य सेन, एक भारतीय क्रांतिकारी थे, जो भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रभावशाली सेनानी थे और वे 1930 के चटगांव शस्त्रागार लूट का नेतृत्व करने के लिए जाने जाते हैं। सेन पेशे से एक स्कूल शिक्षक थे और लोगों के बीच वे “मास्टर दा” के नाम से जाने जाते थे। वर्ष 1916 में जब वे बरहामपुर कॉलेज (अब कृष्णनाथ कॉलेज) में बी.ए. के छात्र थे तब वे राष्ट्रवादी आदर्शों से प्रभावित हुए । 1918 में, उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की चटगांव शाखा के अध्यक्ष के रूप में चुना गया । सेन को युवा और भावुक क्रांतिकारियों के एक समूह की भर्ती के लिए जाना जाता था, जिन्होंने चटगांव में तैनात अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। असहयोग आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी रही और बाद में उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए उन्हें गिरफ्तार करके 1926 से 1928 तक 2 साल के लिए कैद में डाला दिया गया । 12 जनवरी 1934 को फांसी दिए जाने से पहले सूर्य सेन को ब्रिटिश पुलिस ने बेरहमी से प्रताड़ित किया था। मृत्यु के दौरान वे मात्र 39 वर्ष के थे।