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आस्था का महोत्सव है रथयात्रा, जो देती है आत्मदृष्टि बनाए रखने की प्रेरणा – कृष्णा प्रसाद

आसनसोल । जगन्नाथ पुरी को भूलोक के ‘बैकुंठ’ की संज्ञा दी गयी है। सनातन धर्मियों की अटूट आस्था है कि इस दिव्य तीर्थ नगरी के स्वामी जगन्नाथ पूर्ण परात्पर परम ब्रह्म हैं। संपूर्ण सृष्टि के पालक व संचालक की इस पावन नगरी के रथयात्रा उत्सव के दौरान आस्था के जिस विराट वैभव के दर्शन होते हैं; वह नि:संदेह अतुलनीय है। पुरी का रथयात्रा उत्सव देश दुनिया के सनातनी श्रद्धालुओं का ऐसा अनूठा त्योहार है, जिसमें जगत पालक महाप्रभु अपने भाई-बहन के साथ मंदिर से बाहर निकलकर भक्तों से मिलने उनके बीच आते हैं और अपने आशीर्वाद से सबको कृतार्थ कर यह संदेश देते हैं कि ईश्वर की दृष्टि में न कोई छोटा है, न कोई बड़ा, न कोई अमीर है और न गरीब। उक्त बातें शिल्पांचल के विशिष्ट समाजसेवी, व्यवसायी सह धार्मिक प्रवृत्ति के धनी कृष्णा प्रसाद ने कही। उन्होंने कहा कि पुरी में रथयात्रा का एक इतिहास रहा है। अब श्रद्धालु शिल्पांचल के विभिन्न जगहों पर हर्षोल्लास के साथ मना रहे है। शुक्रवार को विभिन्न जगहों से रथयात्रा में शामिल होने के लिए कृष्णा प्रसाद को आमंत्रण देने कमेटी के सदस्य कृष्णा प्रसाद के आवासीय कार्यालय पहुंचे। कृष्णा प्रसाद को गुलदस्ता देकर सम्मान के साथ आमंत्रण कार्ड दिए। इसी क्रम में शुक्रवार की संध्या कुल्टी रांची ग्राम से आयोजक कमेटी के प्रतिनिधि कृष्णा प्रसाद के आवासीय कार्यालय में गुलदस्ता देकर सम्मानित कर आमंत्रण कार्ड दिया। कृष्णा प्रसाद ने सभी को आश्वासन दिए कि वह रथयात्रा में जरूर शामिल होंगे।
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