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आईपीएस अधिकारी को खालिस्तानी कहने का आरोप जिन्होंने लगाया वह कोई बेवकूफ ही होगा – एस एस अहलूवालिया

आसनसोल । बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी पर एक सिख आईपीएस अधिकारी को खालिस्तानी कहने का आरोप लगाया गया था। एस एस अहलूवालिया ने कहा कि कोई बेवकूफी होगा जो इस तरह का आरोप लगा सकता है। किसी भी सीख को खालिस्तानी नहीं कहा जा सकता। उक्त बातें भाजपा जिला कार्यालय में पत्रकार सम्मेलन में एस एस अहलूवालिया ने कही। इस मौके पर उनके साथ जिला अध्यक्ष बप्पा चटर्जी, कुल्टी के विधायक डॉ. अजय पोद्दार, दिलीप दे सहित भाजपा अन्य नेता उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि उनका जन्म जेके नगर में हुआ यहां उनकी पैदाइश हुई। प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने आसनसोल के स्कूल और कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। अब वह अपने घर आसनसोल आए हैं और उनको पूरी उम्मीद है कि यहां की जनता का आशीर्वाद भी उनको मिलेगा। उन्होंने कहा कि आज उन्होंने मां घागर बुड़ी मंदिर में पूजा अर्चना की इसके बाद वह बैसाखी के अवसर पर कुल्टी जाएंगे और रानीगंज में श्याम मंदिर में भी पूजा अर्चना करने जाएंगे। सभी का आशीर्वाद लेने के उपरांत को जनसंपर्क पर निकलेंगे और आसनसोल लोकसभा केंद्र के सभी सातों विधानसभा केंद्र में जाएंगे और लोगों से मिलेंगे और आने वाले चुनाव में भाजपा के समर्थन में मतदान करने का अनुरोध करेंगे। हाल ही में उन्होंने शुभेंदु अधिकारी का नाम लिए बिना कहा कि वह नहीं मान सकते कि वह इस तरह की गलती करेंगे वही एस एस अहलूवालिया ने कहा कि जिस सिख अधिकारी के खिलाफ इस तरह के बयान देने की बात सामने आई थी उसे अधिकारी ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन मीडिया में अटकलें लगाई जा रही थी कि किसने यह बात कही उसे सीख अधिकारी ने एक बार कहा था कि वह कानून का सहारा लेंगे। लेकिन उन्होंने आईपीएस एसोसिएशन के कहने पर यह कदम नहीं उठाया। इसी से पता चलता है कि यह आरोप कितना बेबुनियाद था। एस एस अहलूवालिया ने कहा कि वह जेके नगर के रहने वाले हैं। उनका बचपन जेके नगर आसनसोल में बीता है। इसलिए वह जानते हैं कि यहां पर पहले जो कारखाने थे। वह किसकी वजह से बंद हुए हैं। उन्होंने कहा कि यह कहना कि जेके नगर कारखाना उनकी वजह से बंद हुआ है। यह बचकाना बयान है क्योंकि जब जेके नगर बंद हुआ था तब वह कॉलेज में छात्र राजनीति से जुड़े हुए थे और उनकी इतनी हैसियत नहीं थी कि वह कारखाना बंद करवा दें। उन्होंने साफ कहा कि यह कारखाना दिवंगत हाराधन राय की वजह से बंद हुआ था और आसनसोल तथा आसपास के इलाकों में जितने भी कल कारखाने अच्छे वह वामपंथियों की वजह से बंद हुए। वही 1998 में भी वह यहां से चुनाव लड़े थे वह शहर की वजह के विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि तब वह कांग्रेस से लड़े थे और कांग्रेस तब दो फाड़ में बंट गई थी। इसलिए कुछ भी कहने से पहले यह समझ लेना अति आवश्यक है कि उसे बयान की पृष्ठभूमि क्या है। उन्होंने साफ कहा कि यह लोकतंत्र है और यहां पर अंतिम फैसला जनता लेती है। एजेंडा जनता तय करती है और वह किसी पर अपना एजेंडा थोप नहीं सकते।
 
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