भारत के उज्जवल भविष्य के लिए देश का करदाता – सुरेन जालान
आसनसोल । देश का हर करदाता यह सोचकर कर देता है कि हमारा देश सभी मामलों में आत्मनिर्भर बने। चाहे वह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हो,चाहे वह देश की आर्थिक विकास के लिए हो, चाहे वह गरीब जनता को आत्मनिर्भर बनाने की योजना के लिए हो। यह हमारे भारतवर्ष की आदि परंपरा है। वह अच्छे राजा महाराजाओं का युग था। उस समय के राजा महाराजा देश की जनता का कर देश के जनता को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एवं अपने राज्य की सुरक्षा के लिए ही उसका सदुपयोग करते थे एवं अपने द्वारा करदाताओं का सम्मान भी करते थे। उक्त बातें आसनसोल के व्यवसायी सह सामजसेवी सुरेन जालान ने कही। उन्होंने कहा कि कभी भी राजकोष के धन को अपना धन नहीं समझा। वे राज्य के अधिकार एवं कर्तव्य दोनों बातों को समझते थे एवं करदाताओं का सम्मान करते थे। करदाता भी अपनी उचित कमाई का कर देना अपना धर्म समझते थे। आज 40 वर्ष हो गए हैं। यह बातें हमारे देश के सभी नेता भूल चुके हैं। अब कुछ पार्टी एवं नेता लोग देश के करदाताओं का इतना अपमान कर रहे हैं। जिसकी सीमा पार हो गई है। आज के युग में करदाताओ का कर जो राजकोष में दिया जाता है। उसका उपयोग करदाता चाहे वो व्यापारी हो चाहे वह नौकरी पैशे वाले हो चाहे उद्योगपति हो यह सोच कर आश्चर्यचकित है कि उसका दिया हुआ कर व्यक्तिगत पार्टी के उत्थान के लिए परिवारवाद के लिए एवं अपने जीवन के सभी ऐसो आराम के लिए, आने वाली पीढ़ी के सुविधा की व्यवस्था के लिए, पार्टी के भविष्य लिए, कर का दुरुपयोग किया जा रहा है। उनका दोबारा 5 वर्ष के बाद जो लोकतंत्र में वोट देने का अधिकार है। उनके अनुपात को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा न देकर एवं उस विषय पर कर का सही उपयोग न करके चुनाव होने पर उन्हें मांगने वाला बनाकर ही रखना चाहते हैं। करदाताओं के कर के पैसों का मुफ्त लोभ प्रलोभन देकर देश को एवं आम जनता को अंधकार में ही रखना चाहते है। यदि इस प्रकार ही देश में ऐसा होता रहा तो जो हाल हमारे पड़ोसी देशों का हुआ है। वह दिन ज्यादा दूर नहीं वह हालत हमारे देश को भी देखना पडे। इसलिए करदाताओं को एवं देश के सच्चे भक्तों को एवं देश भक्त नेताओं को जल्द सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए। यह डिबेट और आरोप-प्रत्यारोप से रूक नहीं सकता। करदाताओं को भी कर देने का अधिकार है। पूरे ईमानदारी के साथ एवं देश के सभी राजनीति नेताओं का कर्तव्य है कि उनका दिया हुआ कर देश की सुरक्षा एवं आम जनता के उत्थान के लिए ही खर्च किया जाए। चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार हो बजट के समय पहले वर्ष में कर के आए हुए रूपयो को देशहित के लिए एवं गरीब जनता के उत्थान के लिए खर्च किए जाएं। जिस तरह करदाता को अपनी रिटर्न फाइल एवं ऑडिट रिपोर्ट देनी पड़ती है। उसी तरह से केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा भी व्यक्ति आय एवं खर्च का विवरण सत्यता की मोहर लगाकर पेश करनी चाहिए।।अधिकार के साथ कर्तव्य का गहरा संबंध सोचते हुए बजट के दिन आम जनता एवं आम पदाधिकारी को यह सार्वजनिक करनी चाहिए। यह रिपोर्ट एवं इसका विवरण सरकार का दायित्व है। किसी प्रकार के करदाताओं का चाहे वह व्यापारी हो,चाहे वह सरकारी नौकरी पैशे वाले हो,चाहे उद्योगपति हो,चाहे वह आयात निर्यात करने वाले समूह हो देश का कर देश के विकास एवं देश के आम नागरिकों के भविष्य के उत्थान के लिए ही हो। मेरी सोच से इस तरह देश की करदाताओ का कर्तव्य एवं उनके रुपया खर्च करने का अधिकार एवं विवरण देने के अधिकार के लिए प्रतिबद्ध। मंत्रालय होना देश हित के लिए समय की पुकार है। राजनीतिक एवं परिवार वादी एवं जाति धर्म के नाम पर जो हमारे देश की दिशा चल रही है। उस पर अंकुश लगाना समय की आवश्यकता है। करदाताओं का कर देने का कर्तव्य है एवं सरकार द्वारा शासन चलाने वाले का कर्तव्य है। देशहित का विवरण देना। करदाताओं को भी यह जानने अधिकार है कि अपने दिए हुए कर का खर्च देश के विकास में एवं देश की युवा पीढ़ी को उनके भविष्य की उज्जवलता पर किया गया है कि नहीं। वित्त विभाग का कर्तव्य है कि स्पष्टीकरण दे। किसी भी न्याय एवं अन्याय के फैसले के लिए समय सीमा होना बहुत ही जरूरी है।(लिमिट ऑफ टाइम फॉर जस्टिस)