जंक फूड पर अब नहीं चलेगी दुकानवालों की मनमानी, सरकार लाने वाली है ये गाइडलाइन
दिल्ली । भारत में रेडी टू ईट फूड का चलन ऐसा है कि चाहें बच्चे हो, युवा हों, बड़े हों या फिर बुजुर्ग सभी की पहली पसंद बाहर बाजार में मिलने वाला रेडी टू ईट फूड बन चुका है लेकिन इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि बाजार में मिलने वाले रेडी टू ईट फूड जैसे सैंडविच, बर्गर, क्रीम रोल पर कभी भी यह नहीं लिखा होता है कि इसे कब बनाया गया और कब खराब होगा। हां आप दुकानदार से पूछते होंगे तो वो तो यही जवाब देता होगा कि आज ही बना है, अभी बना है। जिस पर भरोसा करने के अलावा आपके पास और कोई चारा नहीं बचता होगा। लेकिन अब स्थिति बदलने वाली है, क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली भारत सरकार की फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी (एफ एस एस ए आई) एक कानूनी गाइडलाइन लाने वाली है, जिसके मुताबिक बाजार में मिलने वाले सभी रेडी टू ईट फूड जैसे सैंडविच, बर्गर, क्रीम रोल, पेटीज जिसे दुकानदार प्लास्टिक से रैप करके बेचते हैं। उस पर नियम लागू होने के बाद यह लिखना जरूरी हो जाएगा कि यह फूड कब बना था, बनाने में किस मैटेरियल का उपयोग किया गया और इसे कब तक खाया जा सकता है यानी बेस्ट बिफोर की तारीख। जानकारी के मुताबिक एफएसएसएआई के पास बीते कई वर्षों से शिकायत आ रही थी कि कई दुकानदार ग्राहकों को कई दिन पुराना रेडी टू ईट फूड ताजा होने का दावा करके बेचते थे। इतना हीं नहीं एफ एफएसएसएआई द्वारा रेडी टू ईट फूड बेचने वाली दुकानों पर छापा मारने पर भी एफएसएसएआई की टीम ने कई बार पाया था कि दुकानों पर पुराना बासी रेडी टू ईट जंक फूड ग्राहकों को बेचा जा रहा है। ऐसे में बाजार में बिकने वाले रेडी टू ईट जंक फूड की क्वालिटी को बेहतर रखने की कड़ी में एफएसएसएआई इस तरह की गाइडलाइन को बनाने पर काम कर रही है। इसका एक दूसरा पक्ष यह भी है कि जर्नल ऑफ मेडिकल साइंस के अनुमान के मुताबिक भारत में हर वर्ष 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत खराब खाना और पानी के सेवन से होती है और आंकड़ों के लिहाज से देखें तो खराब खाने के सेवन की वजह से मौत के मामले में भारत विश्व में दूसरे स्थान पर है।