जन्म से लेकर मरण तक संस्कार में बंधे रहने से कभी भी मनुष्य पथ से विचलित नहीं होता – दिलीप दास त्यागी
बर्नपुर । शिव स्थान बर्नपुर में चल रही राम कथा मानस गृहस्थ गीता के चौथे दिन राम जन्म के प्रसंग पर कथा वाचक स्वामी श्री दिलीप दास त्यागी जी महाराज ने विचार प्रकट किए। इस दौरान कथा पंडाल में राम जन्मोत्सव का उत्सव भी मनाया गया। फूल मालाओं से सजे पंडाल में दशरथ के घर भगवान राम के जन्म लेते ही बधाई बजने का सिलसिला भी शुरू हुआ। उत्सव के दौरान महिला व पुरूष श्रद्धालु नाचते व गाते दिखे। कथा को आगे बढ़ाते हुए कथा व्यास ने कहा कि संस्कार के बल पर भारत विर्श्व गुरु बना था। इसी से मानव सभ्यता का विकास हुआ था। जन्म से लेकर मरण तक संस्कार में बंधे रहने से कभी भी मनुष्य पथ से विचलित नहीं होता और अंतत: महानता की श्रेणी को भी प्राप्त करता है। उन्होंने बताया कि भगवान राम भी सामान्य व्यक्ति की भांति संस्कारों से बंधे थे। जन्म के कुछ वर्ष बाद नामकरण, चूड़ाकरण, यज्ञोपवीत तदुपरांत गुरु वशिष्ठ आश्रम में जाकर शास्त्र एवं शस्त्र का जहां ज्ञान प्राप्त किया, वहीं योग साधना, संगीत आदि में भी निपुणता हासिल की। गुरु विश्वामित्र के यहां जाकर भूख व नींद न लगने की दीक्षा भी ली जिससे वे असुरों का संहार कर धर्म की स्थापना करने में सफलता प्राप्त किये। आजीवन एक भी ऐसा उदाहरण नहीं है जब प्रभु राम के पग धर्म पथ से विचलित हुए हों। वर्तमान परिपेक्ष्य से जोड़ते हुए उन्होंने बताया कि आज समाज में पाश्चात्य सभ्यता सम्मोहन के कारण लोग संस्कार से वंचित हो रहे हैं।