शारीरिक दूरी उत्तर और दक्षिण बंगाल के छात्रों को प्रियंवदा बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग की भविष्योन्मुखी शिक्षा का लाभ उठाने से नहीं रोकेगी
कोलकाता । कोविड-19 महामारी के बाद नर्सिंग का अपग्रेडेशन बेहद जरूरी हो गया है और प्रियंवदा बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग (बेल व्यू क्लिनिक की इकाई) और मेधावी स्किलवर्सिटी का एकसाथ आना एक स्वागत योग्य कदम है। कोलकाता में आज यह कहना है चंद्रिमा भट्टाचार्य, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, भूमि और भूमि सुधार, शरणार्थी राहत और पुनर्वास, योजना और सांख्यिकी, कार्यक्रम निगरानी, का। नर्सिंग समुदाय के कौशल को बढ़ाने की पहल की उन्होंने शुरूआत की। मेधावी स्किलवर्सिटी के सीईओ प्रो. तमोरिश कोले ने कहा: ” पीबीआईएन और इसकी फैकल्टी से जुड़कर हम बेहद सम्मानित महसूस कर रहे हैं। हम मानते हैं कि इन कार्यक्रमों के माध्यम से नर्सिंग प्रोफेशनल्स भविष्य के लिए तैयार और कौशलयुक्त होंगे और किसी भी चुनौती को संभालने में सक्षम होंगे।” पी टंडन, सीईओ, बेल व्यू क्लिनिक ने कहा: “हम नवाचार, विस्तार और अपने विद्यार्थियों को ज्ञान और कौशल के जरिये सशक्त बनाने की एक यात्रा पर निकल पड़े हैं जिसकी उन्हें चिकित्सा विज्ञान की हमेशा बदलती दुनिया में आगे बढ़ने के लिए जरूरत है। हमारा नर्सिंग संस्थान मेधावी स्किलवर्सिटी के साथ मिलकर पहली बार पूर्व और उत्तर पूर्व भारत में हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के कौशल वृद्धि की दिशा में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने वाला है। इसका नाम महादेवी-प्रियमवदा बिरला अपस्क्लिंग ऑफ हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स होगा। ” यह शैक्षिक पाठ्यक्रम न केवल हमारे नर्सिंग छात्रों और डॉक्टरों की मदद करेगा बल्कि यह मेडिकल समुदाय जिसमें डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल कर्मी हैं, जिन्होंने विदेश जाकर अपने कौशल और प्रैक्टिस का सपना देखा था, उनकी भी सहायता करेगा। उन्होंने आगे कहा। जैसा कि महामारी के बाद नर्सिंग के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण बन गया, इस पेशे में खासा बदलाव हुआ है। नर्सिंग केयर में बदलाव के तहत दुनिया भर के हेल्थकेयर कर्मियों के कौशल विकास की सख्त जरूरत देखी गयी है। दूरस्थ रोगियों की निगरानी से लेकर रोगियों की जरूरतों को समझने के लिए उपकरणों के इस्तेमाल तक, स्वास्थ्य प्रणालियों को कोविड महामारी के बाद प्रौद्योगिकी की दिशा में आये बड़े बदलाव के बाद अपने नर्सों को प्रशिक्षित करने की जरूरत है। वैश्विक नर्सिंग कार्यबल का 2019-20 में 27.9 मिलियन नर्सों के रूप में अनुमान लगाया गया था। भारत क्वालिफाइड नर्सों की भारी कमी से जूझ रहा है जिसके परिणामस्वरूप नर्स-रोगी अनुपात कम हो गया है। भारत को 2024 तक 4.3 मिलियन से अधिक नर्सों को और लाने की जरूरत है ताकि डब्ल्यूएचओ के निर्धारित मापदंडों को पूरा किया जा सके। पीबीआईएन-मेधावी सहयोग परियोजना का उद्देश्य नर्सिंग के कौशल, व्यवहार और नर्सिंग सिद्धांतों का विकास करना है जो उन्हें वैश्विक मानकों के मुताबिक काम करने के लिए सशक्त बनाता है। महामारी ने नाटकीय रूप से अत्यधिक कुशल स्वास्थ्य पेशेवरों की आवश्यकता को बढ़ाया है साथ ही पारंपरिक शिक्षण समाधान को भी सीमित किया है। पीबीआइएन और मेधावी स्किलवर्सिटी का लक्ष्य इन समस्याओं के समाधान के लिए कस्टमाइज्ड अपस्किलिंग का एक सूट लॉन्च करना। इसे बाद में सभी स्वास्थ्य पेशेवरों तक बढ़ाया जाएगा, जिनमें शामिल डॉक्टरों और संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवर भी शामिल हैं।
पीबीआईएन-मेधावी कौशल विविधता परियोजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
1. भौगोलिक स्थिति की परवाह किये बगैर सीखने के अवसर उपलब्ध कराना और पहुंच योग्य बनाना
2. नर्सों के लिए आवश्यक शैक्षणिक संरचना प्रदान करना;
3. गतिशील शिक्षण और सीखने की शैलियों पर ध्यान केंद्रित करना;
4.अधिक प्रभावशाली सहयोग के लिए विविधता को अपनाना;
5. आजीवन सीखने के मौके उपलब्ध कराने के लिए नर्सों को नये अवसर उपलब्ध कराना
मेधावी स्किलसिटी द्वारा हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स के लिए राज्य में पेश किये गये कोर्स, विशेषकर दक्षिण व उत्तर बंगाल में, मूलभूत लाइफ सपोर्ट कोर्सेस, एडवांस्ड कार्डियाक लाइफ सपोर्ट कोर्सेस, पीडियाट्रिक एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट कोर्सेस, एडवांस्ड ट्रॉमा केयर नर्सेस, 21वीं शताब्दी में नर्सिंग के चलन, एंड ऑफ लाइफ केयर, जेरियाट्रिक कंसिडरेशंस, संकट में नर्सिंग व कन्फ्लिक्ट मैनेजमेंट शामिल हैं। मेधावी स्किलवर्सिटी द्वारा प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रमों में बुनियादी लाइफ सपोर्ट पाठ्यक्रम, उन्नत कार्डियाक लाइफ सपोर्ट पाठ्यक्रम, पेडियाट्रिक एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट पाठ्यक्रम, एडवांस्ड ट्रॉमा केयर नर्सेस, 21वीं सदी के नर्सिंग रुझान, एंड ऑफ लाइफ केयर, जेरियाट्रिक कंसिडेरेशंस, नर्सिंग इन क्राइसिस एंड कनफ्लिक्ट मैनेजमेंट आदि शामिल हैं। मेधावी स्किलवर्सिटी पूर्वी भारत में केवल पीबीआईएन के साथ सहयोग करने के लिए आगे आई है। बार-बार पीबीआईएन अवसंरचना और लर्निंग फेसिलिटी का निरीक्षण करके स्वयं को उसे संतुष्ट करना पड़ा। उसका यूनिवर्सिटी ऑफ मायामी में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन, यूनिवर्सिटी ऑफ मायामी में माइकल एस गॉर्डन सेंटर फॉर सिमुलेशन एंड इनोवेशन इन मेडिकव एडुकेशन तथा मिलर स्कूल ऑफ मेडिसिन व अन्य के साथ औपचारिक गठजोड़ है। श्री टंडन ने आगे कहा: “हमने 29 सितंबर 2019 में प्रियंवदा बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग न्यूटाउन, राजारहाट, कोलकाता में इसकी स्थापना में 103 करोड़ रुपये का निवेश किया है। यह एक अत्याधुनिक 15 मंजिला इमारत है जो आएनसी नियमों के अनुसार निर्मित है, जिसमें सभी निर्धारित सुविधाएं हैं। हम नर्सिंग संस्थान से मिलने की उम्मीद करते हैं कि पश्चिम बंगाल में नर्सों की भारी कमी को यह काफी हद तक दूर करेगा।” श्रीमती बिड़ला की हमेशा से इच्छा थी कि एक नर्सिंग स्कूल और वैश्विक स्तर का कॉलेज हो। यह नर्सिंग शिक्षा का अग्रणी केंद्र बन गया है और अपने छात्रों को तेजी से विकसित होते हेल्थ केयर सिस्टम में चिकित्सकों और नर्सिंग लीड़र्स के तौर पर उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए तैयार करता है। अत्याधुनिक परिसर में प्रयोगशालाएं, पुस्तकालय, छात्रों के लिए छात्रावास और परिवहन सुविधाएं मौजूद हैं। पीबीआईएन द्वारा पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रमों में जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी (3-वर्ष), बी.एससी नर्सिंग (4-वर्ष), पोस्ट बेसिक बी.एससी नर्सिंग (2-वर्ष) और एम.एससी नर्सिंग (2-वर्ष) है। जीएनएम का पहला बैच, पोस्ट बासआईसी बीएससी नर्सिंग और एम.एससी नर्सिंग के छात्र पास आउट हो गए हैं, जबकि 96 जीएनएम पास आउट को बेल व्यू क्लिनिक ने खुद में शामिल किया है। मान्यता : अभी हाल ही में प्रियंवदा बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग को द टाइम्स ऑफ इंडिया तथा न्यूज 18 बांग्ला द्वारा नर्सिंग शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए सर्वश्रेष्ठ संस्थान के रूप में मान्यता दी गयी है।