चिकित्सकीय लापरवाही से पीड़ित लोगों को इंसाफ दिलाने का काम करता है पीबीटी
आसनसोल । डॉ. कुणाल साहा (प्रोफेसर, यूएसए), अध्यक्ष, पीपल फॉर बेटर ट्रीटमेंट (पीबीटी) के अध्यक्ष डॉ. कुणाल साहा ने शुक्रवार एवलिन लॉज में एक संवाददाता सम्मेलन किया। आपको बता दें कि यह संस्था चिकित्सकीय लापरवाही से पीड़ित लोगों को इंसाफ दिलाने का काम करती है। संवाददाता सम्मेलन के दौरान डॉ. कुणाल साहा ने वर्ष 2018 में आसनसोल के उत्तर थाना अंतर्गत एक निजी अस्पताल में लापरवाही से एक बच्चे की मौत के मामले में जानकारी दी। खुशी घोष और अक्षय घोष के 6 महीने के बच्चे का आसनसोल के उत्तर थाना अंतर्गत एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। आरोप है कि जब उस बच्चे का इलाज कर रहे डॉ. अमित मंडल के कहने पर बच्चे को एक इंजेक्शन दिया गया तो बच्चा बेहोश हो गया और बाद में उसकी मौत हो गई। आरोप है कि इसके बाद डॉ. अमित मंडल बच्चे की मौत की घटना को दबाने की कोशिश करने लगे। इस घटना की सीबीआई जांच की मांग करते हुए दंपति ने काफी दिनों तक अस्पताल के सामने प्रदर्शन भी किया। इसके उपरांत वह वर्तमान में इंसाफ के लिए गए लेकिन वहां जब उनको इंसाफ नहीं मिला तो सर्किट बेंच का दरवाजा खटखटाया। वहां यह साबित हो गया कि बच्चे की मौत इलाज में लापरवाही की वजह से ही हुई है। इसी मुद्दे पर डॉ. कुणाल साहा नए संवाददाता सम्मेलन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि आसनसोल सर्किट बेंच के न्यायाधीश सुदेव मित्रा ने बर्दवान डिस्ट्रिक्ट फोरम के उस आदेश को पलट दिया। जिसमें कहा गया था कि चिकित्सक की लापरवाही नहीं हुई है। इस आदेश में न्यायाधीश ने कहा है कि इसमें चिकित्सकीय लापरवाही दिख रही है और बर्दवान डिस्ट्रिक्ट फोरम को 3 करोड रुपए के मुआवजे के मामले की सुनवाई करनी होगी। वहीं पीबीटी ने सुभोजित घाटी नामक एक व्यक्ति के केस का भी हवाला दिया। यह कोलकाता के एक निजी अस्पताल के खिलाफ मामला है, जिसमें आरोप है कि न्यूरोसर्जन डॉ. आरएन भट्टाचार्य की गलत चिकित्सा की वजह से वह पूरी जिंदगी के लिए अपाहिज हो गए है। उनको गलती से टीबी की दवा दे दी गई थी।