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सुख-दु:ख का निवारण सत्संग में है, सभी लोगों को सत्संग में जरूर आना चाहिए – राम मोहन जी महाराज

आसनसोल । जीटी रोड बड़ा पोस्ट ऑफिस के पास महावीर स्थान मंदिर में महावीर स्थान सेवा समिति की ओर से आयोजित 9 दिवसीय रामकथा के छठवें दिन श्री राम मोहन जी महाराज ने प्रभु श्री रामजी के वनवास व केवट प्रसंग पर प्रवचन सुनाए। वहीं भगवान श्रीकृष्ण जन्म उत्सव झांकी के साथ हर्षोल्लास से मनाया गया। राम मोहन महाराज जी ने कहा कि आज के दिन हजारों वर्ष बाद ऐसा संयोग आया है की जन्माष्टमी के दिन कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र बुधवार अष्टमी तिथि और मध्यरात्रि में हुआ था। आज के दिन चारों संयोग मिलता है। कृष्ण जन्म का उत्सव के दौरान कितनी बारिश हुई। जिस प्रकार से बारिश हुई थी, भगवान इंद्र भी प्रसन्न हो गए। श्री राम मोहन जी की कथा में दिन पर दिन इतनी भीड़ हो रही है कि आयोजकों को भीड़ संभालना मुश्किल हो रहा है। राम जी मोहन ने केवट प्रसंग बहुत ही सुंदर ढंग से वर्णन किया। वनवास के दौरान गंगा के तट पर जब प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण, सीता मैया पहुंची तो उन्होंने केवट से कहा कि भैया हम लोगों को गंगा पार करा दो। केवट ने शर्त रखी पहले आपका चरण धोऊंगा फिर गंगा पार करा देंगे। आपके चरणों का इतिहास मैं जानता हूं। आपके चरण छूने से पत्थर भी नारी बन जाती है। मेरी नाव से मेरे परिवार की जीविका चलती है। यह नारी हो गई तो परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे। राम जी ने केवट की शर्त मान ली। पैर धुलवाने के बाद नाव पर बैठ गये। जब नाव गंगा पार पहुंच गई तो भगवान केवट को उतरीय देने लगे। तब केवट ने कहा कि मैं उत्तरिय नहीं लूंगा। राम ने बहुत जिद की तो केवट ने कहा कि एक जाति के दो लोग आपस में उतरीय नहीं लेते। तभी लक्ष्मण जी बीच में बोल पड़े हम क्षत्रिय हैं, तुम केवट हो एक जाति कैसे हुई। केवट ने कहा मैं लोगों को गंगा पार करता हूं और श्री राम जी लोगों को भवसागर पार करते हैं। दोनों का काम एक ही हुआ। आप मेरे घाट पर आए, आपको गंगा पार करा दिया। जब मैं मर कर आपके घाट पर आऊंगा तो आप भवसागर पार करा दीजिएगा। श्री राम मोहन जी महाराज ने कथा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कही। लोग सत्संग में ताली क्यों बजाते हैं ? इसका क्या महत्व है, अगर आप लोग नहीं जानते हो तो मैं बताऊं। उन्होंने बताया कि खेत में फसल पक जाती है तो पशु पक्षी को उड़ाने के लिए ताली बजाई जाती है। इस प्रकार यह जो पेट है। आपका पाप और दुख जब आपको घनघोर रूप से घेर लेता है। सत्संग रूपी ताली उसे दुख को भगा देती है और हाथ ऊपर करके ताली क्यों बजाई जाती है। इसका कारण जब पाप का घड़ा भर जाता है तो मिट्टी का घड़ा उसको ऊपर ताली बजाकर तोड़ा जाता है। जो भी पाप आपके मन में भरे है, वह खत्म हो जाता है। सुख-दुख का निवारण सत्संग में है। माया के वश में जो है उसे जीव कहते है, और जिसके वश में माया हो उसे शिव कहते हैं। छठवें दिन रमाशंकर शुक्ला, नरेश अग्रवाल, गुड़िया साव, विद्या सिंह, बबीता बाउड़ी, सविता चौबे, पवन पसारी, रेनू बर्नवाल, प्रेमचंद गुप्ता ने पूजा आरती की। मौके पर जगदीश प्रसाद केडिया, अरुण शर्मा, बालाजी ज्वेलर्स के मालिक प्रभात अग्रवाल, संजय शर्मा, दिनेश लड़सरिया, बजरंग लाल शर्मा, अमर भगत, अनिल सहल, जितेंद्र बर्नवाल, सावरमल अग्रवाल, बंसीलाल डालमिया, संजय अग्रवाल, प्रकाश अग्रवाल, शिव प्रसाद बर्मन, अरुण बर्नवाल, सुरेंद्र केडिया, प्रेमचंद केसरी, संजय शर्मा, विनोद केडिया, विकास केडिया, वासुदेव शर्मा, महेश शर्मा, सज्जन भूत, मुन्ना शर्मा, मुकेश शर्मा, मनीष भगत, अभिषेक बर्मन, राजू शर्मा, मुंशीलाल शर्मा, प्रकाश अग्रवाल, अक्षय शर्मा, अजीत शर्मा, राजकुमार केरवाल, निरंजन पंडित, जगदीश पंडित, श्याम पंडित, विद्यार्थी पंडित, बजरंग शर्मा, रौनक जालान, दीपक गुप्ता सहित सैकड़ों गण्यमान्य श्रद्धालु शामिल थे।

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