दादा बन गए हैं बंगाल का चेहरा, जिंदल की बेकार जमीन पर स्टील फैक्ट्री चाहते हैं
शालबोनी । सौरभ गांगुली विदेशों से इस्पात कारखाने बनाने की घोषणा की। तब से कुछ महीने बीत चुके हैं। वह मंगलवार से बंगाल के नये ‘ब्रांड एंबेसडर’ हैं. और सौरभ गंगोपाध्याय जहां स्टील फैक्ट्री बनाने की घोषणा की गई, वहां शालबोनी में उद्योग के लिए ली गई जमीन अब गाय-बकरियों के लिए चारागाह बन गई है! स्पेन के मैड्रिड में व्यापार सम्मेलन के मंच से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा की गयी घोषणा कब हकीकत बनेगी, यह सवाल अब शालबोनी की जुबान पर है. यहां के जमीन मालिकों के संगठन के नेता चिसाब महतो कहते हैं, ”मैं सुना है सौरव बंगाल का ‘चेहरा’ बन गए हैं.” दादा ने कहा था जब होगा तो फैक्ट्री जरूर होगी। हम चाहते हैं कि यह तेज़ हो। लोगों को काम मिलना चाहिए.”डेढ़ दशक पहले, बाम काल के दौरान शालबोनी में लगभग 4,300 एकड़ ज़मीन जिंदल कबीले को एक बड़ा स्टील प्लांट बनाने के लिए दी गई थी। प्रस्तावित फैक्ट्री की आधारशिला नवंबर 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने रखी थी। लौटते वक्त उनके काफिले पर बारूदी सुरंग का हमला हुआ। धीरे-धीरे माओवादी काल शुरू हुआ। बदली हुई स्थिति में, जिंदल ने स्टील फैक्ट्री योजना को रद्द करने और इसके स्थान पर सीमेंट फैक्ट्री बनाने का फैसला किया। फैक्ट्री का उद्घाटन 2018 में ममता ने किया था। हालाँकि, अधिकांश भूमि परती पड़ी हुई है। सूत्रों के अनुसार, यदि जिंदल समूह ‘अप्रयुक्त’ भूमि वापस कर देता है, तो इसका एक हिस्सा एक नई स्टील फैक्ट्री बनने की संभावना है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार राज्य प्रशासन के निर्देश पर कुछ माह पहले जिंदल परियोजना की जमीन की मापी की गयी थी। ऐसा प्रतीत होता है कि जिंदल को दी गई लगभग 80 प्रतिशत भूमि ‘अनुपयोगी’ पड़ी है। लगभग 20 प्रतिशत भूमि का ‘उपयोग’ किया जा चुका है। जिंदल कबीले को दी गई ज्यादातर जमीन सरकारी है। कुछ जमीन का अधिग्रहण करना पड़ा। करीब 490 लोगों ने जमीन दी। इसमें से 849.02 एकड़ भूमि ‘उपयोग’ में है। यह जमीन जंबेड़िया समेत नौ मौजा में फैली हुई है। शेष 3252.95 एकड़ भूमि ‘अनुपयोगी’ स्थिति में आती है। यह जमीन बलुकाचट्टी समेत 14 मौजा में फैली हुई है। पश्चिम मेदिनीपुर के जिलाधिकारी खुर्शीद अली कादरी इस बात से सहमत हैं, ”जमीन का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट भेज दी गई है।” साथ में ”अप्रयुक्त” जमीन का नक्शा भी भेजा गया है। लेकिन उसके बाद काम आगे नहीं बढ़ सका। सूत्रों के मुताबिक, शालबोनी में प्रस्तावित स्टील फैक्ट्री में 3 से 3.5 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया जा सकता है। राज्य की मंजूरी मिल गयी।