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सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के फनी एक्स पोस्ट पर पूर्व मेयर जितेन्द्र तिवारी ने किया करारा हमला

आसनसोल । पूर्व मेयर सह भाजपा प्रदेश कमेटी के सदस्य जितेंद्र तिवारी ने एक्स पर सांसद शत्रुघ्न सिन्हा के पोस्ट को लेकर करारा हमला किया। उन्होंने कहा कि संदेशखाली की मातृशक्ति के उत्पीड़न पर तृणमूल कांग्रेस फन, इंज्वायमेंट और इंटरटेंमेंट कर रही है तो आप क्यों नहीं करेंगे? सनद रहे कि तृणमूल कांग्रेस ने निवर्तमान सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को ही आसन्न चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि जितेन्द्र तिवारी संभावित भाजपा प्रत्याशियों की दौड़ में शामिल हैं। तथा इसके पहले भी वे विभिन्न मुद्दों पर सांसद शत्रुघ्न सिन्हा को घेरते रहे हैं। दोनों ही हिंदीभाषी
नेता है। इनके बीच जब राजनीतिक विवाद होता है तो
आम जनता पूरी दिलचस्पी से इसका आनंद लेते हैं। दरअसल रविवार होने के कारण अपने सोशल मीडिया साइट एक्स पर सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा सिर्फ मौज मस्ती, मनोरंजन वाला पोस्ट है। उन्होंने लिखा है कि एक लड़का हर रोज 12 घंटे पढ़ाई करने के बाद भी इतिहास में फेल हो गया। पिता को संदेह हुआ कि बच्चा फेल कैसे हो गया। तो पिता ने स्कूल जाकर उत्तर पुस्तिकाएं जांची : प्रश्न- भारत को आजादी कब मिली? A.- 2014. Q. श्वेत क्रांति कब शुरू हुई? A. – 2014. Q. हरित क्रांति कब शुरू हुई? A. 2014. Q. भारत में विमानन सेवाएँ कब शुरू हुईं? A.- 2014. Q. भारत में रेल सेवा कब प्रारम्भ हुई? A.- 2014. Q. भारत में आईआईटी, आईआईएम, इसरो, एम्स की शुरुआत कब हुई? उ.- 2014 । Q. भारत की सशस्त्र सेनाएं, सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीटी जैसे बलों का गठन कब हुआ? A. 2014. Q. भारत में औद्योगिक क्रांति कब हुई? उ.- 2014 से आगे। Q. भारत में पहला कंप्यूटर कब आया? A.- 2014. तो पिता चिल्लाता हुआ घर आया और बच्चे को थप्पड़ मारा और चिल्लाया, तुमने इतना बकवास क्यों लिखा? बच्चा चिल्लाकर बोला- पापा आपकी वजह से। पिता ने पूछा कैसे ? बच्चा–आप हमेशा कहते हो कि 70 साल में कुछ नहीं हुआ। जो कुछ भी हुआ वह 2014 के बाद पीएम मोदी ने किया है। मैंने किताब पढ़ी लेकिन मुझे आपकी बात पर भरोसा था। मुझे कैसे पता चलेगा कि आप झूठ बोल रहे थे?

संदेशखाली है भाजपा का बड़ा चुनावी मुद्दा
इधर जितेन्द्र तिवारी इस मौके को छोड़ने के मूड में नहीं है। उन्होंने इस मामले को पूरी तरह से संदेशखाली से जोड़ दिया। भाजपा ने संदेशखाली को चुनावी मुद्दा बना रखा है। आसन्न लोकसभा चुनाव में वह इसी मुद्दे पर तृणमूल को घेरना चाहती है। इस मुद्दे को बंगाल की महिलाओं की अस्मिता और संस्कृति से जोड़ना चाहती है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि तृणमूल भाजपा नेताओं को हमेशा बहिरागत कहती रही है। उसका दावा है कि भाजपा नेताओं को बंगाल की सामाजिक और सांस्कृतिक विशिष्टता की तनिक भी समझ नहीं है। उस स्थिति में संदेशखाली बड़े मुद्दे के रूप में हाथ लगी है।

 
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