अंतिम चरण में ‘मदन दा’ फिर ‘रॉबिन हुड’ मूड में, ‘ओआरएस दवा’ देते हुए बोले, ‘तृणमूल कार्यकर्ताओं को पता है कि कहां क्या मिक्सचर देना है’
दमदम । अब तक वह चुनाव प्रचार की ‘स्क्रीन’ पर नजर नहीं आये हैं। कहीं न कहीं उनका ‘रॉबिनहुड’ मूड ‘अछूत’ था। वह शारीरिक बीमारी से बहुत परेशान है। लेकिन देश के सबसे बड़े ‘महाराणे’ के आखिरी चरण में ‘मदन दा’ फिर से अपनी शान में लौट आया है। मदन मित्रा ने सातवें चरण में ‘ओआरएस’ दावा का निदान बताया। चुनाव से पहले उनके कहे हर एक शब्द से राजनीतिक तूफान खड़ा हो जाएगा। वह मदन पिछले कुछ सालों में बंगाल की राजनीति के सामने पूरी तरह से ‘अछूत’ हो गए थे। पिछले हफ्ते उन्हें पानीहाटी में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बगल में देखा गया था। और फिर गुरुवार की रात। सातवें दौर के चुनाव से पहले उन्होंने केंद्रीय बलों पर हमला बोलते हुए जो कहा, उससे वह एक बार फिर सुर्खियों में हैं। मदन मित्रा की आवाज में ओआरएस दावा सुनाई दिया। मदन मित्रा ने कहा, ”केंद्रीय बल, वे भी इंसान हैं। अगर लोग बीमार पड़ते हैं तो मैं उन्हें ओआरएस देने के पक्ष में हूं। अगर केंद्रीय बलों को लगता है कि स्टेन उस बड़ी छड़ी के साथ हमारे स्टॉल पर आएंगे और हमें ओआरएस देने के लिए कहेंगे, है ना? यदि आप उन्हें छड़ी से डराने की कोशिश करेंगे तो तृणमूल के लड़के उस छड़ी को छीनने की क्षमता रखते हैं। सातवें दौर के चुनाव में ‘ओआरएस’ के दावे की जरूरत पड़ेगी, मदन ने साफ कहा। मदन ने कहा, ”दमदम का मतलब दावा है अगर मैं कहूं कि दम दम धुलेगा तो ये असंवैधानिक होगा। मैं दावाई के बारे में बात कर रहा हूं। उन्होंने यह भी कहा, ”तृणमूल कार्यकर्ताओं को पता है कि क्या दावा देना है, कहां कौन सा मिक्सचर देना है।” मतदान के दिन ओआरएस रहेगा।” राजनीति के सौदागरों के लिए यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मदन के छुपे संदेश का दमदम के वोटों पर क्या असर होगा।