आसनसोल । नेपोलियन पूरे विश्व में मार काट कर विश्व विजेता बनना चाहता था तथा इसी दौरान किसी राजा ने उनकी अंतिम ख्वाहिश के बारे में जानना चाहा।नेपोलियन का जवाब था कि मैं विश्व विजेता बनकर कन्याकुमारी एवं हिमालय में शांति का दूत बनकर आत्म ज्ञान की ओर अग्रसर होउंगा। उस राजा ने नेपोलियन से कहा तुम्हें अभी कौन रोक रहा है। अभी से क्यों नहीं चले जाते हो। इतनी मार काट क्यों कर रहे हो। नेपोलियन ने जवाब देते हुए कहा विश्व में इतिहास रचा जाएगा कि विश्व विजेता ने अंत में जाकर भगवान की खोज की। इससे पहले आज से हिमालय में ऐसे बहुत से महान साधु संत तपस्या कर रहे हैं। उन्हें जानने वाला कोई नहीं है। यह बहुत बडा संदेश होगा। लोगों के लिए कि विश्व विजेता भी अंत में ध्यान लगाने के लिए हिमालय एवं कन्याकुमारी गया। आज के दौर में 113 साल पूर्व हमारे नरेंद्र नाथ दत्ता जी ने सनातन धर्म की जागृति के लिए कन्याकुमारी तट पर 3 दिन की ध्यान एवं तपस्या की थी। तब जाकर उनका नाम स्वामी विवेकानंद हुआ। आज वही इतिहास नरेंद्र नाम के एक व्यक्तित्व द्वारा अपनी पूरी दिशा एवं अपने ज्ञान के अनुसार चुनाव प्रचार कर सबका साथ सबका विकास द्वारा ध्यान करने कन्याकुमारी पहुंचे हैं। आगे विश्व ही बताएगा। इस पर किसी भी प्रकार की राजनीतिक अपने स्वार्थ के लिए न करें। उक्त बाते राष्ट्र प्रेमी सुरेन जालान ने कही।
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