सभी राजनीतिक दल पक्ष और विपक्ष करदाताओं के लिए भी एक संकल्प की करें घोषणा – सुरेन जालान
आसनसोल । गर्व की बात है हमारे संविधान के अनुसार आज दस संकल्प मोदी जी ने गिनाए। बड़े दुःख की बात है कि जिनके पैसों से देश चल रहा है और जिनके पैसों से आज वे संकल्प ले रहे हैं। क्या यह भारत के संविधान में लिखा हुआ है। देश के करदाताओं का पैसा संसद में बैठने के लिए एवं विधानसभा में बैठने के लिए नहीं है। इसका सदुपयोग केवल देशहित में ही होना चाहिए। परन्तु देश के कुछ निकम्मी जनता मुफ्त की रेवड़ी देकर एवं लेकर संकल्प ले रहे हैं। उक्त बातें आसनसोल के सुरेन जालान ने कही। उन्होंने कहा कि आज संसद भवन में भी देखा गया और कुछ मुख्यमंत्रियों के द्वारा भी देखा गया।इससे बड़ा दुःख और क्या होगा। जब वहां के डीएम मीडिया में आकर कहते हैं कि सरकारी अस्पताल से निकालकर उन्हें अच्छे उपचार के लिए प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है और तालियां बटोर रहे हैं। सरकारी स्कूल से निकालकर प्राइवेट विकसित स्कूलों में भेजा जा रहा है। पोस्टल व्यवस्था से तंग आकर जनता कोरियर का सहारा ले रही है, आज केवल कोरियर की कानूनी मान्यता न होने के चलते जनता को सरकारी पोस्टल व्यवस्था पर जाना पड़ता है। पूरा का पूरा बीएसएनल केवल जनता के पैसों से खाली इमारत बनी हुई है। रेलवे द्वारा डिमांड के अनुसार जनता से पैसा वसूल रही है। आज उन करदाताओं के पैसों का दुरुपयोग केवल सत्ता हासिल करने के लिए किया जा रहा है एवं करदाताओं के लिए अलग से किसी भी प्रकार का कोई मंत्रालय नहीं है एवं किसी प्रकार से उनकी कोई सुनने वाला नहीं है।उन बातों का संकल्प आप कब लेंगे।उसके पूर्व व्यापारियों को,करदाताओं को एवं उद्योगपतियों को कटघरे में खड़ा किया जाता था।भोली भाली जनता अपना गुस्सा उन्हीं पर जाहिर करती थी। इसमें कालेबाजारी करदाताओं की संख्या 10% थी मगर 100% व्यापारियों को इसकी प्रताड़ना मिल रही है।उनकी सुनने वाला कोई नहीं है चाहे सरकारी अस्पताल हो, चाहे न्यायालय हो,चाहे शिक्षा का मामला हो कहीं पर भी इनके लिए कोई कोटा का प्रावधान नहीं है।जो करदाता 10% के चलते बदनाम थे।आज 95% राजनीति में न्यायालय में होकर भी लंबी-लंबी घोषणा करने में कोई भी संविधान और न्यायालय इन्हें नहीं रोकता। सभी राजनीतिक दल पक्ष और विपक्ष से अनुरोध करता हूं करदाताओं के लिए भी एक संकल्प की घोषणा करें। उनके टैक्स के पैसों के लिए एवं व्यक्तिगत हितों के लिए भी संकल्प ले।जिससे वह भविष्य में और अधिक से अधिक कर देने में सक्षम हो सके।अपना अधिकार और कर्तव्य का निर्वहन दोनों को करना चाहिए।