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मौत के कुओं से भरी पड़ी है कोयलांचल नगरी लोग कूदकर कर लेते हैं आत्महत्या तो अन्जाने में भी हो जाती है मौत

राजा चौधरी

आसनसोल । गत शुक्रवार को रानीगंज महावीर कोलियरी के रहने वाले भीष्म राय की कांटागोड़िया के एक अवैध खदान में गिर कर दर्दनाक मौत हो गई। यह कोई पहली घटना नहीं है और न ही चौंकाने वाली घटना है क्योंकि ऐसी घटनाएं इस क्षेत्र के लिए आम बात हैं। ऐसी घटना होने पर लोग पहुंचते हैं। कोलियरी प्रबंधन, पुलिस तथा सीआईएसएफ पर तरह -तरह के आरोप लगाते हैं और दो दिन बाद फिर सब कुछ ठंडा पड़ जाता है। महावीर कोलियरी का भीष्म राय दुर्भाग्य से ऐसे ही मौत के कुएं में गिर गया और दुनिया से कूच कर गया। हालांकि लोग आरोप लगाते हैं कि शुक्रवार अलसुबह जह भीष्म राय कोयला चुनकर घर ला रहा था तो सीआईएसएफ ने उसे अवैध खदान में धकेल दिया। हो सकता है कि यह सही बात भी हो लेकिन कोयलांचल – शिल्पांचल में ऐसी घटनाएं आम बात हैं।

ये खदान सुसाइड जोन भी हैं

लगभग 23-24 साल पहले की बात है। रानीगंज के शिशुबागान में रहने वाली एक छात्रा ने माध्यमिक की परीक्षा में फेल होने पर महावीर कोलियरी के एक ऐसे ही परित्यक्त खदान में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। दमकल विभाग ने बड़ी मुश्किल से दो दिन बाद उसका शव बरामद किया था। उल्लेखनीय है कि महावीर कोलियरी के इस क्षेत्र में कई परित्यक्त खदानें हैं जिनकी भराई आज तक नहीं की गई है। इस क्षेत्र में कई बार कई लोगों ने ऐसे ही खदानों में कूदकर आत्महत्या कर ली है तो कई बार लोग इधर से जाते हुए गलती से इसमें गिर गये हैं और उनकी मौत हो गई है। इस क्षेत्र को खतरनाक घोषित करते हुए घेर दिया गया है लेकिन काफी लोग शिशुबागान से महावीर कोलियरी या निमचा इधर से होकर ही जाते हैं क्योंकि उन्हें सुरक्षित रास्ते से आना-जाना करने में काफी लंबी दूरी तक करनी पड़ती है।

बराकर से अंडाल तक हैं ऐसी अनेक अवैध खदानें

पश्चिम बंगाल के पश्चिम बर्दवान जिला में ऐसी खदानें बराकर, कुल्टी, सीतारामपुर, सांकतोड़िया, जामुड़िया के नार्थ सियारसोल, कांटागोड़िया, बीजपुर, बालानपुर सहित नीलवन, सेंटर जामुड़िया, बागसिमुलिया, श्रीपुर, रानीगंज के बांसरा-मंगलपुर में हैं। इन इलाकों में सैकड़ों कुआंनुमा अवैध कोयला खदानें हैं जहां आये दिन कोई न कोई दुर्घटना घटित होती रहती है। अवैध कोयला कारोबारियों ने कुआं तो खोद दिया लेकिन उन्हें भरा नहीं गया जिस वजह से रात तो छोड़िए दिन में भी ऐसी घटनाएं घट जाती हैं। इस प्रकार के मौत के कुएं में आदमी तो आदमी, पता नहीं कितने मवेशियों की भी गिरकर मौत हो गयी है। बरसात के मौसम में जब जंगल-झाड़ियां भर जाती हैं तो ये कुएं नजर नहीं आते हैं जिस कारण आदमी तथा मवेशी इस काल के गाल में समा जाते हैं। प्रशासन पर लगता है लापरवाही का आरोप कोयलांचल-शिल्पांचल में ऐसी सैकड़ों खदानें हैं लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इन्हें भरा नहीं गया है। ये अभी भी खुली हुई अवस्था में हैं। इनके कारण बहुत-सी जगहों पर आये दिन भू-धंसान की घटना होती रहती है। इस विषय में बात करने के लिए कोलियरी के अधिकारियों से बात करने के लिए फोन किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका।

  

 

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