आसनसोल । गुरुवार अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस था। उस उपलक्ष्य पर आसनसोल संशोधनागार में जेल प्रबंधन और जिला प्रशासन के प्रयास से एक बेहद मानविक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। चार विचाराधीन कैदी और एक सजायाफ्ता मुजरिम को उनके परिवारों से मिलने की अनुमति प्रदान की गई। इस मौके पर एसडीओ से लेकर जेल प्रबंधन और जिला प्रशासन के तमाम वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। उनकी निगरानी में सभी सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए। इन पांच कैदियों को अपने परिवारों के साथ मिलने की अनुमति प्रदान की गई। इस मौके पर जब हमने प्रशासन के कुछ अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि आज जो दृश्य हमने यहां देखा वह बहुत जज्बाती दृश्य था। उन्होंने कहा कि भले ही वह कानून को मानकर काम करने के लिए कृत संकल्प है, लेकिन आज यहां पर जो दृश्य देखे गए। वह किसी की भी आंखों में नमी लाने के लिए काफी थे। उन्होंने कहा कि आज एक छोटी सी बच्ची लगभग 4 साल बाद अपनी मां से मिल रही थी। उसकी मां जेल में कैद है। वहीं एक पिता अपने बेटे से एक मां अपने बेटे से मिल रहे थे। बेटे को भी अपने पिता या मां से मिलकर एक आत्मिक सुकून महसूस हुआ। उनका कहना था कि जेल जिसे आजकल संशोधनागार कहां जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य ही यही है की परिस्थितिवश या अन्य किसी कारण से अगर किसी ने जुर्म का रास्ता अख्तियार कर भी लिया हो तो भी उसे सुधरने का एक मौका दिया जाए और अपने परिवार को पास पाकर हर एक व्यक्ति के मन में बदलने की भावना जरूर आती है। उन्होंने कहा कि आज का दिन एक ऐतिहासिक दिन है और पश्चिम बंगाल में पहली बार इस तरह का कोई कार्यक्रम किया जा रहा है। वहीं जब हमने एक छोटी सी बच्ची जो जेल में कैद अपनी मां से मिलने आई थी। उससे बात की तो उसने बताया कि 4 साल बाद वह अपनी मां से मिलने आ रही है बच्ची की मासूमियत का यह आलम था कि उसे याद भी नहीं है कि पिछली बार वह अपनी मां से कब मिली थी। यहां तक कि उसे अपनी मां का चेहरा तक याद नहीं है। लेकिन वह अपनी मां से मिलने आई है। अधिकारियों ने बताया कि जब यह बच्ची अपनी मां से मिली तो मां और बच्ची दोनों ही जोर जोर से रो रहे थे। अधिकारियों को उम्मीद है कि उस मां के बहते आंसुओं के साथ अपराध के साथ उसका रिश्ता भी बह जाएगा और वह फिर से समाज की मुख्य धारा से जुड़ पाएगी।