राज्य की सबसे बड़ी कोयला खदान परियोजना कुल्टी के कल्याणेश्वरी में होगी चालू
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कुल्टी। भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) और सरकारी स्वामित्व वाली कोल इंडिया की सहायक कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) की सबसे बड़ी कोयला खदान परियोजना कुल्टी-बराकर क्षेत्र में बनने जा रही है। सीएमपीडीए ने ‘कल्याणेश्वरी परियोजना’ नामक इस परियोजना की अंतिम रिपोर्ट दे दी है। इस खदान परियोजना में 122 मिलियन टन कोयला भंडार पाया गया है। इससे प्रति वर्ष 4 मिलियन टन कोयला उत्पादन संभव होगा। बीसीसीएल के सूत्रों ने बताया कि यह सबसे बड़ी परियोजना होगी।
यह परियोजना 3.61 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैलेगी। सूत्रों के अनुसार, इस परियोजना के लिए 1,130 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है। जिसमें से 706 हेक्टेयर भूमि बीसीसीएल के पास ही है। 414 हेक्टेयर भूमि निजी मालिकों से खरीदी जाएगी।
राज्य सरकार दस हेक्टेयर भूमि उपलब्ध कराएगी। कुल मिलाकर, इस परियोजना का नाम ‘कल्याणेश्वरी खदान परियोजना’ होगा। इस परियोजना से हज़ारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोज़गार मिलेगा। राज्य सरकार को भी काफ़ी राजस्व प्राप्त होगा।
सीतारामपुर ब्लॉक में स्थित परियोजना क्षेत्र की 200 एकड़ ज़मीन पर कोल इंडिया और ओएनजीसी ने शुरुआत में कोल बेड मीथेन उत्पादन की योजना बनाई थी।
लेकिन परीक्षणों से पता चला कि उस ज़मीन में मीथेन की मात्रा उतनी नहीं थी जितनी होनी चाहिए। नतीजतन, कोल इंडिया ने उस जगह से गैस आपूर्ति करने के फ़ैसले से पीछे हट लिया है। बीसीसीएल के अधिकारी उस ज़मीन के अधिग्रहण के लिए ओएनजीसी से बात कर चुके हैं। सुनने में आया है कि उस 200 एकड़ ज़मीन के अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
नई कोयला खनन परियोजना के लिए कोयले की ऊपरी परत हटाकर जो अतिरिक्त भार डाला जाएगा, उसे इसी 200 एकड़ ज़मीन पर डाला जाएगा। बीसीसीएल सूत्रों के अनुसार, यह परियोजना 36 साल तक चलेगी।
अगर यह परियोजना पूरी तरह से शुरू हो जाती है, तो इससे प्रति वर्ष 358 करोड़ रुपये का लाभ होगा। बराकर के चाच विक्टोरिया क्षेत्र के बीसीसीएल के महाप्रबंधक शशिभूषण कुमार ने कहा, “कल्याणेश्वरी परियोजना बीसीसीएल की सबसे बड़ी परियोजना होगी।” कोयला मंत्रालय के एक सलाहकार ने बताया कि काम तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। बीसीसीएल और सेल मिलकर इस परियोजना का काम संभालेंगे। अगर यह परियोजना शुरू होती है, तो यह निश्चित रूप से पश्चिम बंगाल की सबसे बड़ी कोयला खनन परियोजनाओं में से एक होगी। इससे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बहुत से लोगों को रोज़गार मिलेगा।