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बंगला भाषा सिखा कर सिविल सर्विस परीक्षा में बांग्ला भाषा में दिया जाए प्रश्न पत्र – जितेंद्र तिवारी

कोलकाता। आसनसोल के पूर्व मेयर सह भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी बुधवार असिस्टेंट कमिश्नर फार लिंग्विस्टिक माइनोरिटी वेस्ट बंगाल को अपने सदस्यों के साथ उनके कार्यालय में जाकर ज्ञापन सौंपा। इसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस परीक्षा में हिंदी, उर्दू, संथाली भाषा को हटाने का विरोध जताया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल सरकार ने हिंदी, उर्दू, संथाली, नेपाली, गुरुमुखी ओरिया को लिंग्विस्टिक माइनोरिटी भाषा का दर्जा दिया था। वहीं पश्चिम बंगाल सिविल सर्विस नियुक्ति नियमों अधिनियम 1978 के मुताबिक बांग्ला, हिंदी, उर्दू नेपाली संथाली भाषा में प्रश्नपत्र को सिविल सर्विस के में परीक्षा में कंपल्सरी किया गया था। वहीं 15 मार्च 2023 को एक गैजेट नोटिफिकेशन के जरिए हिंदी, उर्दू, संथाली को इस सूची से हटा दिया गया है। जितेंद्र तिवारी ने इसे इन भाषाओं के विद्यार्थियों के साथ नाइंसाफी करार दिया। उन्होंने ने आगे लिखा के राज्य में हिंदी, उर्दू, संथाली और इंग्लिश माध्यमिक स्कूलों में बांग्ला अनिवार्य रूप से पढ़ाया नहीं जाता जिस वजह से इन भाषाओं के विद्यार्थी ठीक से बंगला सीख नहीं पाते है। जबकि वह बांग्ला भाषा सीखना चाहते हैं। उन्होंने लिखा कि इन भाषाओं के विद्यार्थियों को बंगला भाषा सिखा कर उनसे सिविल सर्विस परीक्षा में बांग्ला भाषा का प्रश्न पत्र पास करने की बात कहना सरासर गलत है। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार के अल्पसंख्यक कार्यालय से इस विषय को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार से आलोचना करने की मांग की। उनका कहना है कि कक्षा 5 से लेकर कक्षा 10 तक के सभी विद्यार्थियों को बांग्ला भाषा का ज्ञान होना चाहिए। उन्हें स्कूलों में बांग्ला पढ़ाया जाना चाहिए। तब जाकर सभी के साथ इंसाफ किया जा सकेगा।
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