Shilpanchal Today

Latest News in Hindi

राष्ट्रीय स्तर पर मातृ दुग्ध बैंक पर विशेष जानकारी हेतु वेबिनार का किया गया आयोजित

आसनसोल । शिशुओं के लिए वरदान है ‘मानव दुग्ध बैंक’। जी हां, नवजात शिशु के लिए मां का दूध कितना ज़रूरी है, ये हम सभी जानते हैं। लेकिन कई बार परिस्थितियां ऐसी होती हैं कि शिशु को मातृ दुग्ध मिलना संभव नहीं हो पाता। नन्हों की सेहत का ख़्याल रखते हुए, अखिल भारतीय मारवाड़ी महिला सम्मेलन के राष्ट्रीय प्रकल्प नेत्र, देह, अंग एवं रक्तदान प्रमुख सुशीला फरमानिया के नेतृत्व मे राष्ट्रीय स्तर पर मातृ दुग्ध बैंक पर विशेष जानकारी हेतु वेबिनार आयोजित किया गया। जिसमे आमंत्रित थे, बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरा बथवाल, राष्ट्रीय सचिव रूपा अग्रवाल, अतिथि वक्ता डा. संजीव क्षेत्री, सिनियर कंसल्टेंट, एनआईसीयू, फॉर्टिस हॉस्पिटल्स, नोएडा एवं डा. बद्रीलाल मेघावल, प्रोफेसर पडिएट्रिक्स, आरएनटी उदयपुर। आसनसोल से मधु डुमरेवाल, सम्मेलन की राष्ट्रीय अंगदान सखी एवं कार्यक्रम संयोजिका ने कहा, आज तक हमने अंगदान, देह दान, नेत्र दान, त्वचा दान, रक्त दान के बारे में सुना था, लेकिन आज हमने एक ऐसे विषय मातृ दुग्ध बैंक पर चर्चा की है, जिस की बदौलत कई नवजात शिशु को जिंदगी मिलती है, कई चेहरे खिल उठते है।
उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा विषय पर कई जानकारियां, जैसे मानव दुग्ध बैंक किस तरह से काम करते हैं या किन शिशुओं को इनकी ज़रूरत पड़ती है, पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, ह्यूमन मिल्क बैंक द्वारा नवजात शिशुओं के लिए स्वस्थ मां के दूध को पाश्चराइजेशन यूनिट और डीप फ्रीज़ जैसी तकनीक का उपयोग कर, 6 महीने तक उपलब्ध कराया जा सकता है। इससे किसी भी बच्चे को, जिसे मां के दूध की आवश्यकता हो, सुविधानुसार मातृ-दुग्ध प्राप्त हो सकता है। मां का दूध मानवजाति के लिए ही वरदान की तरह है। इस तरह की बैंक की स्थापना होना शहरवासियों के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। अभी तक भारत मे करीब 160 बैंक खुल चुके हैँ। राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु मे सर्वाधिक हैँ। हर प्रदेश मे इसकी मांग बढ़ रही है यदि प्रसूता अपना दुग्ध अपने शिशु को पिलाने के बाद, अतिरिक्त दूध बैंक में जमा करा देती है तो अन्य शिशु को भी जीवनदायी अमृत मिल सकता है। बैंक में दूध की स्क्रीनिंग की जाएगी कि दानदाता माता किसी तरह की बीमारी, जैसे कैंसर, एड्स आदि से ग्रस्त तो नहीं हैं। मदर मिल्क बैंक के जरिए शिशु कुपोषण की समस्या से लड़ा जा सकता है। यह बच्चे की पाचन शक्ति, मस्तिष्क विकास एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। अतः इसे शिशु को आजीवन स्वस्थ रखने वाली संजीवनी कहा गया है। वेबिनार मे इस विषय पर प्रश्नोतरी प्रतियोगिता भी रखी गयी, जिसमे सभी ने बढ़चढ़कर भाग लिया और तीन विजेता घोषित किये गये। कार्यक्रम मे सहयोगी सदस्य पूनम जयपुरिया, राजकुमारी जैन, रूबी खेमानी, बबिता बगडिया आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *