आवारा कुत्तों के लिए मसीहा बनी लिपिका सड़क हादसे में घायल गब्बर को नई जिंदगी के साथ दिया आशियाना
आसनसोल । शहर के बुधा इलाके की निवासी सह पशु प्रेमी लिपिका चक्रवर्ती इन दिनों खूब चर्च में हैं। चर्चे मे होने का कारण यह है कि लिपिका हर रोज की तरह एक जून को आस्नसोल की सड़कों और गलियों में घूमने वाले आवारा कुत्तों को भोजन कराने व उनको देख-रेख करने के लिए अपने घर से निकल रही थी, तभी अचानक बर्नपुर का रहने वाला युवक सुमानता उनके पास सड़क हादसे में घायल एक डेढ़ महीने के कुत्ते को ले आया और यह कहकर लिपिका के हथों में सौंप दिया कि वह एक छात्र है, वह सड़क से गुजर रहा था तभी उसने देखा कि सड़क हादसे में घायल एक डेढ़ महीने का कुत्ता तड़प रहा है। उसे लग कि कुत्ते को बचाया जा सकता है। जिसके बाद कुत्ते के सीधे लिपिका के पास ले आया। लिपिका ने दिन रात एक कर कुत्ते को कभी सलाईन देकर तो कभी इंजेक्शन देकर कुत्ते का जीवन बचा लिया। कुत्ता खेलने कूदने लगा है। लिनिका ने उक्त युवक को बुलाया और उस कुत्ते को उसके घर में जगह देने की अपील की। छात्र लिपिका की बात मान कुत्ते को अपने साथ घर ले गया।
युवक के परिजनों ने भी कुत्ते का हाव-भाव व चंचलता को देख अपना लिया और कुत्ते का नान गब्बर रख दिया। अब ऐसे में गब्बर को नया घर मिल गया। लिपिका कहती है कि जैसे सुमानता ने गब्बर को एक नया घर और एक नया परिवार दिया। वैसे सड़क पर घूमने वाले हर बेसहारा कुत्तों को अगर सहाग मिल जाए या फिर दो वक्त की रोटी मिल जाए तो यह बेजुबान भूखे नहीं तड़पेंगे। किसी को कुछ खाते देख उनका मुंह नहीं ताकेंगे, उनको देखकर अपना दुम हिलाकर उनसे रोटी का बचा हुआ टुकड़ा कभी नहीं मांगेंगे, रोटी के लिए किसी के लात या फिर किसी का पत्यर या डंडे से पिटाई नहीं खाएंगे।