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तीस्ता समझौता केंद्र-राज्य तारजा चरम पर!

कोलकाता । फरक्का और तीस्ता समझौते के बारे में पश्चिम बंगाल सरकार को पहले ही जानकारी दे दी गई थी। मुख्यमंत्री के पत्र के बाद केंद्र सरकार के सूत्रों ने यह दावा किया है कि केंद्र ने दावा किया कि 1996 के समझौते को लेकर पिछले साल 24 जुलाई को राज्य सरकार को पत्र लिखा गया था। पश्चिम बंगाल सरकार को समझौते को नवीनीकृत करने के लिए गठित समिति में सदस्यों को नामित करने के लिए कहा गया था। संयोग से, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा तीस्ता जल वितरण समझौते के बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने के बाद ही केंद्र सरकार के सूत्रों ने यह जानकारी दी है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना हाल ही में भारत आईं थी। तब मोदी सरकार ने दोनों देशों के बीच गंगा जल संधि को नवीनीकृत किया था। लेकिन इस समझौते को लेकर बंगाल के मन में कई सवाल है। राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी का आरोप है कि पिछले समझौते का पैसा अभी तक पश्चिम बंगाल को नहीं दिया गया है। इस बीच गंगा में ड्रेजिंग बंद हो गयी है। बाढ़ ही नहीं, जो मिट्टी के कटाव का भी प्रमुख कारण है। मुख्यमंत्री ने कल नबन्ना में विभिन्न नगर पालिकाओं के अध्यक्षों के साथ बैठक की। उस बैठक में उन्होंने बांग्लादेश के साथ गंगा जल संधि के नवीनीकरण का मुद्दा उठाया। कहा, तिस्ता समझौता त्रिपक्षीय होता था, अब यह बंगाल से बचता है। मैं प्रधानमंत्री को लिख रहा हूं। बंगाल की वंचना के खिलाफ पूरे बंगाल में जन आंदोलन होगा। टॉप डेगन, ‘इस समझौते के परिणामस्वरूप उत्तर बंगाल के लोगों को पानी नहीं मिलेगा।’ उन्होंने चेतावनी भी दी, ‘अगर केंद्र सरकार ने एकतरफा समझौते का नवीनीकरण किया तो जन आंदोलन होगा।’ बांग्लादेश के साथ गंगा जल संधि के नवीनीकरण पर ममता बनर्जी ने जमकर निशाना साधा।
   
 
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