केएनयू में टीएमसीपी के छात्र नेताओं के अपमान को सहन न कर वाइस चांसलर ने अपने पद से इस्तीफा देने की कही बात
आसनसोल । काजी नजरूल विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर डॉ. देवाशीष बनर्जी ने अपने पद से इस्तीफा की पेशकश की है। डॉ. देवाशीष बनर्जी ने कहा कि कल उनको विश्वविद्यालय में अपने ही कार्यालय के अंदर जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इसके बाद वह मानसिक रूप से वाइस चांसलर की जिम्मेदारी निभाने की स्थिति में नहीं है। इसलिए वह त्यागपत्र देना चाहते हैं। डॉ. देवाशीष बनर्जी ने आज अपने ही घर में एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पिछले 20 दिनों से काजी नजरूल विश्वविद्यालय में आंदोलन के नाम पर जो चल रहा है। उससे विश्वविद्यालय के कामकाज पर काफी असर पड़ रहा है और कल वह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बोस के विशेष कार्य से विश्वविद्यालय गए थे। लेकिन जिस तरह से उनको वहां पर परिस्थिति का सामना करना पड़ा। इससे उनके मानसिक स्थिति पर काफी गहरा असर पड़ा है और फिलहाल वह फिर से विश्वविद्यालय में जाकर अपना काम करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए वह घर से ही सारे काम कर रहे हैं। लेकिन इस तरह से कब तक चलेगा। यह सोचकर उन्होंने त्यागपत्र देने का सोचा है। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सपनों का विश्वविद्यालय है। लेकिन जिस तरह से यहां पर आंदोलन किया जा रहा है। अब वैसे स्थिति नहीं है कि वह वाइस चांसलर के रूप में अपने कार्यकाल को जारी रख सके। इसलिए वह चाहते हैं कि वह त्यागपत्र देकर इस स्थिति से छुटकारा पाएं। उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्होंने राज्य के राज्यपाल और विश्वविद्यालय के कुलपति वीके आनंद बोस को पूरी स्थिति से अवगत कराया है और कल उनको जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। उसके बारे में भी उन्होंने राज्यपाल को बताया है। राज्यपाल ने उन्हें फिलहाल विश्वविद्यालय न जाने के सलाह दी है और घर से ही काम करने को कहा है। डॉ. देवाशिष्ठ बनर्जी ने कहा कि कल अगर उनके साथ पुलिस के अधिकारी और सुरक्षाकर्मी नहीं होते तो उनको भारी शारीरिक आघात लगने की आशंका थी। उन्होंने साफ कहा कि विश्वविद्यालय के शिक्षक और अशिक्षक कर्मी उनके साथ हैं और कल जब उनको मजबूर होकर विश्वविद्यालय परिसर से वापस लौटना पड़ा तो उनकी आंखों में भी आंसू थे। उन्होंने कहा कि कल वह एक सेवानिवृत विश्वविद्यालय कर्मचारी के पेंशन के कागजों पर दस्तखत करने गए थे और वहां पर उनको जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा वह किसी से छिपा हुआ नहीं है लेकिन उन्होंने अपने काम को रोक नहीं और पूरी रात जागकर उन्होंने पेंशन के काम को पूरा किया और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा चूरूलिया में काजी नज़रुल इस्लाम के पुश्तैनी घर के जीर्णोद्धार के लिए जो रकम उपलब्ध कराई गई है। उसके लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट तैयार करके आज सुबह ही उन्होंने जिला मजिस्ट्रेट को भेज दिया है। ताकि वह काम जल्द से जल्द शुरू हो सके। उन्होंने कहा कि वह अपना हर काम कर रहे हैं लेकिन कल उनको जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इससे अब उनके लिए विश्वविद्यालय परिसर में जाकर वाइस चांसलर के जिम्मेदारी निभाना संभव नहीं लगता। उन्होंने साफ कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी आंदोलन के नाम पर जो कर रहे है। गलती का एहसास उनको भविष्य में जरूर होगा। डॉ. देवाशीष बनर्जी ने कहा कि उन्होंने सारी स्थिति से अवगत कराते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ईमेल भी भेजा है। लेकिन शायद मुख्यमंत्री अपनी व्यस्तता की वजह से अब तक उसे देख नहीं पाए हैं या कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है उन्होंने कहा कि कल की स्थिति को लेकर उन्होंने आसनसोल दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट के आयुक्त और स्थानीय थाना को भी जानकारी दे दी है।