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अपने और अपने देश के अस्तित्व को बचाने के लिए एवं अपने धर्म और देश की रक्षा के लिए सनातनियों को होना होगा एक – सुरेन जालान

आसनसोल । 30 दिसंबर 2006 फांसी पर चढ़ने से पहले 1982 नरसंहार मामले में दोषी करार होने पर इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने एक सलाह भारत के मुल्ला – मौलवियो एवं अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दी थी कि आप अयोध्या में एक हिंदू मंदिर और मस्जिद के विवाद को लेकर राजनीतिक न करें।सत्य सनातन हिंदू समाज पूरे विश्व में शांति प्रिय माना जाता है। अब तक के इतिहास में जो भी अत्याचार इनके साथ हुआ है। वह चाहे मुगल राज्य के शासनकाल में हुआ हो या अंग्रेजों के शासनकाल में हुआ हो या चाहे सेक्युलर के नाम पर खुद कुछ सनातनियों द्वारा अत्याचार किए गए हो। अगर भविष्य में वह एकजुट होकर अपने ऊपर हुए आज तक के सभी अत्याचारों का विरोध करने लगेंगे तो सब उजागर होने लगेगा। उक्त बाते आसनसोल के विशिष्ट व्यवसायी सुरेन जालान ने कही। उन्होंने कहा कि आज सद्दाम हुसैन की बात पूरे विश्व में सही साबित हो रही है। इतनी दूरदर्शिता को जानने वाले सद्दाम हुसैन जैसे महान व्यक्तित्व को मैं याद कर रहा हूं। इस पर सनातनियों को सोचने की जरूरत है। एकता में कितनी ताकत है। यह भलि भांति समझ लेना चाहिए। अपने और अपने देश के अस्तित्व को बचाने के लिए एवं अपने धर्म और देश की रक्षा के लिए इसकी शुरुआत होना। यह एक मिशाल के रूप में देखने को मिल रहा है। इसमें कुछ समुदायों द्वारा माहौल खराब किया जा रहा है, जिसमें सबसे अधिक पड़ोसी देश पाकिस्तान एवं भारत के सेक्युलर के नाम पर सनातनियो का है। शिक्षा – यह शांतिप्रिय मानवता के लिए अच्छा नहीं है।सेक्युलर के नाम पर कुछ सनातनी जो अपने परिवारवाद के लिए देश एवं सनातन धर्म को खतरे में डाल रहे हैं, उचित नहीं है।  

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