जांच के बाद कोयला चोरी की शिकायत दर्ज करायी
सत्ताधारी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं की संलिप्तता के कारण प्रशासन इस कारोबार को रोकने में सकारात्मक भूमिका नहीं निभा रही
आसनसोल । कोयला चोरी मामले में सीबीआई की जांच पूरी होने के बाद आसनसोल की सीबीआई अदालत में आरोप तय किया गया। इस बार बारी है ट्रायल प्रक्रिया की। लेकिन कोयला चोरी पर कितना अंकुश लग रहा है, इसे लेकर खनन क्षेत्र के निवासियों का एक बड़ा वर्ग सवाल उठा रहा है। विपक्ष का आरोप है कि कई सालों से चल रही सीबीआई जांच के बावजूद आसनसोल-रानीगंज खदान क्षेत्र में कोयला चोरी बड़े पैमाने पर हो रही है। अवैध कोयला लदे ट्रकों को पुलिस और सीआईएसएफ द्वारा पकड़े जाने की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। उन्होंने दावा किया कि परिणामस्वरूप केंद्रीय एजेंसी की जांच के बाद भी यह अवैध लेनदेन नहीं रुका। वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने कोयला चोरी और तस्करी की जांच शुरू की थी। पहली शिकायत 2020 में दर्ज की गई थी। लेकिन उसके बाद भी कोयले की चोरी नहीं रुक पाने की शिकायत राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मुंह से सुनी गयी। उन्होंने आरोप लगाया कि सीआईएसएफ के साथ निचले स्तर के पुलिसकर्मियों का एक समूह कोयला चोरी में शामिल था। उन्होंने राज्य पुलिस के शीर्ष स्तर को इस संबंध में कार्रवाई करने का भी आदेश दिया। मुख्यमंत्री की इस शिकायत के बाद विपक्ष ने आवाज उठाई। उनका दावा है कि कोयला चोरी मामले में तृणमूल का एक हिस्सा शामिल है। युवा तृणमूल नेता विनय मिश्रा का नाम सीबीआई की आरोपियों की सूची में है। इसमें राज्य की सत्ताधारी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता शामिल होने के कारण प्रशासन इस डील को कराने में सकारात्मक भूमिका नहीं निभा पा रहा है। उनसे मांग करो विपक्ष का आरोप है कि 30 नवंबर की रात सीआईएसएफ ने रानीगंज के जेके नगर स्थित ईसीएल की सेंट्रल साइडिंग पर अवैध कोयला लदा एक ट्रक पकड़ा था। साइडिंग से करीब 50 टन कोयला चोरी कर उसमें लोड किया गया था। कथित तौर पर इसमें शामिल हैं। 8 लोगों के नाम पर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई है। इनमें रानीगंज के जेमारी पंचायत के तृणमूल सदस्य कालीचरण बाउरी भी शामिल हैं। फिर, हाल ही में जामुरिया में एक सामाजिक कार्यक्रम में योग देते हुए कोयला तस्करी मामले के आरोपी शेख सदरुद्दीन स्वागत करते नजर आ रहे हैं। बिश्वनाथ बाउरी, जिला अध्यक्ष, पश्चिम बर्दवान। भाजपा के राज्य नेता और आसनसोल दक्षिण से विधायक अग्निमित्रा पाल ने दावा किया, ”तृणमूल प्रतिनिधियों को कोयला चोरी के आरोपियों से बधाई मिल रही है। फिर, कोयला चोरी में सीधे तौर पर तृणमूल नेता शामिल हैं। इसके बाद यह उम्मीद करने का कोई कारण नहीं है कि राज्य प्रशासन कोयला चोरी पर लगाम लगा पायेगा। ईसीएल अधिकारियों का दावा है कि कोयला चोरी रोकने के लिए सीआईएसएफ की निगरानी बढ़ा दी गयी है। खनन क्षेत्र में चोरी की गतिविधियों को ड्रोन कैमरे की मदद से देखा जा रहा है। एक खास मोबाइल ऐप लॉन्च किया गया है। कोयला चोरी की बात आम लोगों के ध्यान में आने पर नाम व पहचान छिपाकर उस एप पर खबर भेजी जा सकती है। सीआईएसएफ के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में अलग-अलग इलाकों से काफी मात्रा में चोरी का कोयला जब्त किया गया है। उनकी शिकायत है कि कोयला चोरों ने सतग्राम और कुनुस्तारिया क्षेत्र के विभिन्न इलाकों में जंगल में अवैध डिपो बनाए हैं। सीपीएम राज्य समिति के सदस्य बंगगोपाल चौधरी का दावा है कि कोयला चोरी की यह नियमित घटना चिंताजनक है और कहा, “कुछ निचले स्तर के पुलिस कर्मी भी हैं।” सत्तारूढ़ दल का एक हिस्सा इस अवैध गतिविधि में शामिल है। यदि इस चोरी को नहीं रोका गया तो इसकी चपेट में खनन और औद्योगिक क्षेत्र का विशाल क्षेत्र आ जाएगा। आसनसोल-दुर्गापुर पुलिस कमिश्नरेट के एक अधिकारी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के आदेश के बाद उन्होंने अवैध खनन रोकने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। उन्होंने कहा कि दो दिसंबर को पुलिस ने रानीगंज इलाके में कई अवैध खदानों को बंद कराया था। तृणमूल जिला अध्यक्ष नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती की प्रतिक्रिया, ”मुख्यमंत्री ने खुद कोयला चोरी की बात कही है। हालाँकि, तृणमूल जिले में किसी भी अवैध गतिविधियों का समर्थन नहीं करती है। भाजपा और सीपीएम को तृणमूल को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करने में मजा आता है। लोगों को उनकी परवाह नहीं है।